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परीक्षा

भौतिकी विज्ञान और कम्प्युटर साथ गणित आए है, इन्हे देख देख बच्चो के सर कितने चकराए है। पढने का मन है तो नही पर cs उठाने का सोचा है, पर इतने मे याद आया फिर maths मे कुछ तो लोचा है। Physics मे भी श्रोङिंगर जी कुंङली मारे बैठे है, पढाई करके इतनी सारी हम भी सारे ऐठे है। कोई थोङा foundation को भी तो time दे दो यार, थोङी देर ही तो सही इनको भी पढलो एक बार।

बेबस माँ

बच्चे है भगवान का रूप उनमे छोटा ना कोई बङा मै अमीर या हूँ गरीब इससे उनको न फर्क पङा है कहानी एक गरीब माँ की जिसका बच्चा छोटा है आइस्क्रीम खाने के लिए जिद करके वह रोता है माँ चाहिए मुझे आइस्क्रीम मासुमियत से वह बोला देख बच्चे कि लालसा बेबस माँ का मन ङोला पैसे नही है पास मेरे इच्छा तेरी हो पूरी शान के आगे अमीरो की रह गयी हूँ मैं अधुरी काश अगर एैसा होता की काम मुझे मिल जाता इच्छा तेरी होती पूरी रहता नही तू भूखा काम करती थी जहाँ पहले गलती मुझसे हो गई उनके कुत्ते को हलकी सी चोट मुझसे लग गई काम से मुझको निकाल दिया कुत्ते पर पैसा खर्च किया कुत्ते की रखवाली करते इंसानो का खून किया एक समय था कुत्ते रखवाली करते इंसानो की कैसा ये कलयुग आ गया कुत्ते बने है राजाजी भूख से तङप कर रो रहा है बेचारा वो बच्चा दया जिसे न आ रही जीवन है उसका कच्चा दर्द बच्चे का माँ से देखा नही अब जाता ढुंढ रही है काम इतना कोई मदद नही देता स्वाभिमानी है वह औरत जो भीख नही ले सकती शिक्षा एैसी अपने बच्चे को वो नही दे सकती समझ नही पा रही है वो क्या करे कहाँ वो जाए अपने बच्चे के लिए रोटी कहाँ से लाए दर्द क

कुछ तो मुझे भी आता है

जानती हूँ मै अच्छी नही पर बुराई से लङना आता है बुराई मुझमे काफी है पर उन्हे सुधारना आता है कई बार चलते चलते ठोकर खाकर गिरती हूँ पर उठ जाने के फिर बाद सम्भलकर चलना आता है कई बार जब नादानी मैं दिल किसी का दुखाती हूँ पर एहसास होने पर माफी मांगना आता है चाहे मैं ना समझु सबको समान पर अपने से छोटो का भी आदर करना आता है

मोर कि कहानी

एक दिन भगवान ने सोचा देखूँ दुनिया के रंग घुमते हुए उन्होने देखा पशु पक्षी तो रह गए बेरंग सोचा ये दुनिया हर तरफ से है कितनी सुन्दर प्यारे रंग - बिरंगे फुल खिलते है इसके अन्दर तब बहुत ना इंसाफी हुई इन पशु पक्षियो के साथ जल्द ही इसका उपाय करना होगा हाथो हाथ इन्द्रधनुष से उन्होने लिए कई सारे रंग अब नही रहेंगे ये पशु पक्षी बेरंग आदेश दिया उन्होने मोर को वहाँ बुलाया इन रंगो से तुम बदलोगे पशु पक्षियो कि काया मोर ने अपना फर्ज ईमानदारी से निभाया हर पशु-पक्षी को उनके पसंद का रंग लगाया तोता बोला मुझे चाहिए हल्का रंग हरा शेर वही से बोला रंग दो मुझे सुनहरा तभी वहाँ से आवाज आई भालू वहाँ से बोला मेरी पसंद तो हटके है मुझे चाहिए कोला सभी पशु-पक्षियो कि इच्छा तो हो गई पूरी लेकिन रह गया मोर बेरंग उसकी इच्छा अधुरी मोर ने सोचा कुछ न कुछ तो करना होगा उपाय मेरी भी इच्छा हो पूरी पर रंग कहा से आए तभी रंग के ङिब्बो पर गया मोर का ध्यान हर एक रंग लगाकर बढ गई सुन्दर मोर की शान तभी बादल गरजे और जोर का पानी आया पंख फैलाकर मोर ने अपना सुन्दर नाच दिखाया मोर कि सुन्दरता है इस बात का सबूत दुसरो

कविता का नजरीया

कोई समझे कविता बस दर्द मे लिखी जाती है तो कोई समझे कि यह तो दिमाग मे आती जाती है कोई कहता कविता नही लिखना है आसान तो कोई कहे कि कहा मिलता इसका ज्ञान कवि लोग जब लिखे कविता सोच के सागर मे ङूबे जाने कहा से उनको एैसी पंक्तिया कैसे सूझे कोई कहे कि कविता में बस हंसी मजाक ही होता है तो कोई कहता कि कवि तो पत्नी पर ही लिखता है कविताएँ तो होती है बङी बात का छोटा रूप छाया देती कवियो को जब निराशा कि लगती है धूप कोई समझे कविता लिखने का होता है जुनुन तो कोई समझे कि यह तो होता पीढीयो का खून कहता कोई कविता में कुछ मजा नही होता है पर कविता वो ताकत है जो मन के रूख को पलट दे कोई समझे कविता पर्यायवाची होती जल कि जैसा तुम लिखना चाहो बस उसी रूप मे ढल जाती

महंगाई का असर

जबसे महंगाई आई चिंता बङी है लाई जिस पर सबसे ज्यादा चिंता बच्चो ने दिखलाई बच्चो कि एक टोली मिलकर कर रही विचार उफ ये महंगाई बढ गई कितनी अबकी बार महंगाई के कारण पहले ही पङ गई है सोटी ऊपर से पापा ने जेब खर्च में कि कटोती कैसे होगी पार्टी अपनी दोस्तो ये बतलाओ महंगाई से बचने का कुछ उपाय तो लाओ अचानक एक विचार एक बच्चे के मन में सूझा एक ही उपाय है और नही कोई दूजा बङे लोग जो करते है काम वही करेंगे हम टेक्स लगाकर हर चीज पर जुटा लेंगे रकम आज से हमारे हर काम पर टेक्स लेंगे हम चाहे जो भी हो जाए टेक्स न होगा कम मम्मी दूध पिलाने को जिद नही करेगी पिलाना है यदि दूध हमे एक रुपया वो भरेगी पापा यदि कोई भी काम हमे बताए दो रुपये का टेक्स उन पर हम लगाए कोई भी बच्चा खेलने को ग्राउंङ मे अपने आए एक रुपये का टेक्स उससे हम चुकवाए चाहे जो भी हो जाए कोई टेक्स करेगा ना कम महंगाई कि मार अकेले क्यो झेलेंगे हम गलत किया बच्चो ने जो हर चीज पर टेक्स लगाए पर यह बात बङो से ही तो बच्चे सीख के आए पहले तो हर कोई किसी के काम युँ ही आ जाता अब तो हर काम के पिछे टेक्स जरूर लगाता क्या करे इंसान ये मजबुरी उ

गौ माता

एक बार ये सोच कर सो गई मैं रात को कैसे बयान करे गौ माता अपने अंदर के दर्द को तभी रात को सपने मे किरणो की रोशनी आई सपने मे मुझको दिखी गौ माता की परछाई कहा उन्होने मुझसे देने आई तुझे जवाब इंसानो ने कर दिया आज मुझे बर्बाद एक समय था जब मे हर जगह पुजी जाती थी कितनी सुन्दर खुशहाल सुनहरी हमारी बस्ती थी लेकिन आज का ये मानव ममता को मेरी खा गया मेरे मन को कितनी गहरी चोट वो पहुँचा गया कोई इतना खुदगर्ज जाने केसे हो सकता है किले चुभोता है उसको जिसके दुध से बढता है मैने तो इंसानो का भला हमेशा ही किया फिर आज उसने बेदर्दी से मेरा क्युँ कत्ल किया आज के इस संसार मे दम मेरा तो घुटता है मेरे प्यारे कान्हा का युग मुझे याद आता है आज के इस संसार मे कोई नही है मेरा दूध देती हूँ इसलिए क्योकी है धर्म ये मेरा मेरा चमङा काट कर मानव तो इतना खुश हुआ कैसे समझे उसकी माँ को तब कितना है दर्द हुआ खोलता पानी ङालकर मुझे कितना तङपाता है इससे मेरा नर्म चमङा उसको जो मिल जाता है काट कर मेरा गला उल्टा मुझको लटकाएगा ताकि उससे खून मेरा बाहर युँ बह जाएगा बोल नही सकती मैं सिर्फ चिल्लाती ही रहती हूँ अपने उस

बेटी का महत्व

आज अचानक मन बह गया उस और भ्रुण हत्या के मामले दर्ज है चहू और सोचा इस पाप के खिलाफ मैं भी करू कुछ कोशिश ज्यादा कुछ नही तो अपनी कविता मैं ही कुछ लिख भ्रुण हत्या के खिलाफ मैने भी एक कविता बनाई है बेटी की महत्ता को अपनी कविता से दर्शायी है की बेटी नही है बच्चे का टुटा फुटा खिलोना वह तो है सच करने वाली माता पिता का सपना सलोना बेटी को तुम बचाकर देखो पाओगे सच्चा सुख सोख लेगी धरती की तरह तुम्हारे सारे दुःख वह है गुनगुनी धुप सुबह की दमकती लाली कभी तुम्हारे मान के खातिर बन जाएगी काली जान तुम्हारी उसको है अपनी जान से प्यारी नाम तुम्हारा रोशन करेगी तुम्हारी बिटिया रानी सोचते हो बेटा आगे बढाएगा तुम्हारा वंश पर वह भी एक बेटी ही होगी जो पालेगी तुम्हारा अंश बेटी नही बचाओगे तो बहु कहा से लाओगे जब बहु नही ला पाओगे तो वंश कैसे बढाओगे क्यो सोचते हो बेटी एक दिन तुम्हे छोङकर जाएगी कन्या दान का महापुण्य नाम तुम्हारे कर जाएगी बेटीया नही होगी तो बहन कीसे बुलाओगे रक्षाबन्धन के दिन राखी कीससे बंधवाओगे कीसके साथ लोगे तुम जन्मो के सात फेरे क्योकि पत्नी के बिना तुम रह जाओगे अधुरे मॉ के आंचल

दोस्ती की पहचान

दोस्ती क्या है आज मन मे उठा य़े सवाल है ये सच्ची यारी या है कोई बबाल दोस्ती को समझने के लिए लिया दोस्तो का सहारा तब पता चला ये बबाल नही है रिश्ता बडा ही प्यारा मुझे क्या पता चला वह मैं आपको बताती हूँ मैने कीतना समझा अपनी कविता से आपको सुनाती हूँ की दोस्ती हवाओ का है एक इशारा सुबह की गुनगुनी धूप सा सुनहरा कभी दोस्ती है पूनम के चॉद सी तो कभी नोक झोक मे अमावस की रात सी कभी हो हथेलियो मे शांत कंगन तो कभी खनकती चुडियो की खनखन कभी दुल्हन के होठो पर चमकती हुई लाली तो कभी मनमोहक खुशबू लाल गुलाबो वाली ये है ऐसा रिश्ता जो हर जगह मिल जाए जाए कही भी हम अगर एक नया दोस्त पा जाए कीतने बताऊँ दोस्ती के है कितने सारे रंग सिर्फ इतना पता है यह रिश्ता हमेशा होगा संग सिर्फ इतना पता है यह रिश्ता हमेशा होगा संग

जीवन क्रीकेट है

जीवन एक क्रीकेट है जहॉ आये सबकी बारी कभी है इसकी पारी तो कभी है उसकी पारी कभी हुए हम क्लिन बोल्ड तो कभी है मारा चौका कभी है हारी पारी तो मारा कभी है छक्का कभी जीवन के पिच पर लगाइ है लम्बी दौड अटक गये हम बीच कभी बजी ले गया कोई और पारी कभी चली जाती है किसी और के हाथ उदास मत हो मेहनत कर पारी होगी फिर साथ उदास हो कर जीवन जी छुट जाएगी फिर पारी जीवन एक क्रीकेट है जहॉ आये सबकी बारी कभी है इसकी पारी तो कभी है उसकी पारी

प्यार

आजकल का प्यार होता सच्चा ही नही क्योकी प्यार का तो पहला अक्षर पुरा ही नही देखना है प्यार सच्चा प्रेम मे देखो क्योकी प्रेम मे वो आधा अक्षर जुड जाये कही

संगीत्

वो गीत ही क्या कोई है जिसमे कोई साज़ नही कैसा लगता है वो गीत जिसमे कोई राग नही चिल्लाते रहो चिल्लाते रहो यही गीतो मे होता है आज की इस दुनिया मे संगीत का गुड्कता लोटा है

नारी की परिभाषा

नारी की परीभाषा  नारी ही तो है सम्मान आदर की मुरत  नारी ही दिखलाये जीवन मे खुशियो कि सुरत  नारी का करोगे सम्मान आदर मिलेगा  जीवन गुलाब के फूल कि तरह खिलेगा  नारी ही तो भारत मॉ ममता की मुरत है  नारी ही तो देश कि आजादी का स्वरूप है  दुनिया को बनाने वाली नारी माता दुर्गा है  दुनिया को बचाने वाली नारी मॉ कालीका है  दुनिया मे ही एक देश नारी भारत मॉ का है  जिनकि मिट्टी की खुशबु मे हर कोइ बन्ध जाता है देश को बेचने वालो का काल ही तो नारी है  आजादी दिलाने वाली नारी लक्ष्मीबाई है  नारी के है रूप इतने देवि कहलाये वो  हर रिश्ते को सच्चे साफ मन से निभाये वो  मॉ बाबा का बेटी बन सर गर्व से उठाए नारी  तो कभी बहन बन रक्शाबन्धन निभाये नारी  कभी बन पत्नि सात जन्मो का दे साथ नारी  तो कभी मॉ बन ममता बिन स्वार्थ लुटाए नारी  नारी के बिना किसी का कोई अस्तित्व नहीं  बादलो को चिर निकला सुर्य का प्रकाश है नारी बादलो को चिर निकला सुर्य का प्रकाश है नारी

प्यारा भारत

चिडिया भी है चहक उठी हवाये भी है महक उठी हर तरफ गुंजे ये नारा  सबसे प्यारा देश हमारा