*रविवार के दिन महिला, पुरुष व बच्चों के जीवन पर एक चटपटी कविता* हर हफ्ते की ये सुबह होती ही कुछ खास है, रविवार की इस सुबह में अलग ही एक बात है, सबके जीवन पर इसका प्रभाव अलग सा होता है, देखे सबके जीवन में इस दिन क्या-क्या होता है? शुरुआत करे बच्चों से उनकी अलग है दुनिया, राजू, डबलू, शन्टू, मन्टू, चिंकी और मुनिया, आ जाओ खेलेंगे खेल बुला रही है तारा, छः दिन के बाद मिला है जेल से छुटकारा, रोज सवेरे बच्चों को नींद बहुत है आती, लेकिन रविवार को नींद जल्दी है खुल जाती, सारा दिन बच्चों को बस खाना और खेलना, इन सबसे फुर्सत मिले तब जाके फिर पढ़ना, आओ देखे रविवार के दिन पुरुषों का जीवन, छः दिन के काम के बाद मिल पाया इन्हें सुकून, देर तक सोना है इनको देर तक है उठना, गरमा गरम चाय के साथ पेपर फिर है पढ़ना, थोड़ा इधर को टहलेंगे थोड़ा उधर को घूमे, गुनगुनायेंगे गाने और मन ही मन में झूमे, चटकारे ले लेकर शांति से फिर खाना खाएंगे, खाना खाकर दिन में फिर से ये सो जाएंगे, अब आई महिला की बारी कैसा हो यह दिन? सारा दिन बस काम करो बजाते रहे ये बिन, रविवार के दिन महिला की ह