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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चैत्र नवरात्रि 2020

*चैत्र नवरात्रि- 2020* एक बात मुझे बतलाओ जरा नवरात्रि पर्व का अर्थ है क्या? यह पर्व है माँ की आराधना का इतने सालों में कभी की है क्या? काम की व्यस्तता इतनी होती, सिर्फ दर्शन से नवरात्रि मनती, यह वर्ष जो आया है, जिसने पूर्ण अवसर दिलाया है, नव दिनों तक करो आराधना यदि वास्तव में नवरात्रि मनाना हो, और यदि भक्ति में मन ना लगे तो बिगड़ी नवरात्रि यह बहाना क्यों? चैत्र नवरात्रि की सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ *नूतन पू.त्रि.*

नववर्ष- संवत २०७७

*नववर्ष- विक्रम संवत २०७७* नववर्ष नवचेतन है  हर्षोल्लास के साथ मनाओ, लॉक डाउन से दुःखी न होकर घर पर ही आनन्द उठाओ, देखो जाकर छत पर कैसे पंछी नववर्ष मनाते है, चीं चीं कर सरर सरर हवा के संग उड़ जाते है, ऐसा नववर्ष कभी भी तुमने  जीवन में ना देखा होगा, प्रकृति संग जो मिली है फुर्सत उसका आनन्द है अनोखा। विक्रम संवत २०७७ नववर्ष की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ *नूतन पू.त्रि.*

शीतला सप्तमी

 नारी की कोई होड़ नही, जो वो कर सकती है उसका कोई तोड़ नही, शीतला सप्तमी की बात मैं बताती हूँ, आपको शीतला माता मंदिर ले जाती हूँ, जहाँ छोटे से मंदिर में उमड़ती है भीड़, हाथ में पूजन थाली और लोटे में नीर, धक्का-मुक्की ऐसी की औरते बुरी तरह दब जाए, पर संतुलन ऐसा की पूजन सामग्री ना मिल पाए, जहाँ खुद को संभालना मुश्किल है वहाँ थाल हाथों पर टिका लेती है, दही, दूध भी सलामत रहता और पल्लू भी सर से सटा लेती है, १०० मी. का रास्ता भी १ कि.मी. दिखाई देता, घंटे भर की मशक्कत के बाद मय्या से मिलन का मौका आता, दही, दूध से मय्या की गर्माहट को ठंडा करते, मात्र एक दिवस के पूजन पर माँ वर्ष भर रक्षा करते, श्रद्धा, भक्ति कोई खेल नही,  इसकी शक्ति का मेल नही, जब मन करुणा से बंध जाये वो रस है कोई जेल नही, भारतीय संस्कृति को अपनाना  जिसमे कोई जोड़ नही, भारतीय नारी की कोई होड़ नही, जो वो कर सकती है उसका कोई तोड़ नही। *नूतन पू.त्रि.*

होली

होली के त्यौहार पर मैं आप सबको हूँ देती अपने शब्दों से रंगीन रंगों की शुभकामनाएँ होली का त्यौहार सिर्फ रंगों का ही खेल नही सनातन संस्कृति की कथाएँ भी वो दोहराएँ होली का त्यौहार है प्रहलाद की भक्ति का प्रतीक होलिका दहन की खुशियाँ सब में भर जाएँ भिन्न भिन्न रंगों का जो अर्थ हम लगाए तो ये भिन्न भिन्न मानवों से रंगीन दुनिया बन जाए होली का त्यौहार जो पुराने कपड़ो को रंगे फटे हुए कपड़ो में भी जान वो छिड़क जाए कहता है पुराने रिश्ते छोड़ना जरूरी नही प्रेम से रंगों तो उनमें भी उमंग भर जाए पानी की बौछारों को हम जीवन से कुछ यु जोड़े की ईश्वर की भक्ति जब करे इतने गहरे भीग जाए भीगे तन पर सूरज की किरणें जितना सुकून देती भीगे मन पर ईश्वर के ही प्रेम को वो दर्शाएँ और क्रोध के गुब्बारों को जीवन से कुछ ऐसे फेंको की जब वो फूटे तो सब पर सरल प्रेम बरसाए मुश्किलों से डरना क्या वो जीवन का ही अंग है तो "बुरा ना मानो जीवन है" यह किस्मत पर हम आजमाएं होली को जो समझा मैने वैसा ही प्रस्तुत किया प्रेम से भीगे ये दुनिया खुशियो के रंग रंग जाए और इसी के साथ अपनी वाणी को विराम देती होली की पुनः आपको ढेरो शुभकामनाए

होलिका दहन

*होलिका दहन* होलिका दहन पर प्रस्तुत है छोटा सा नजराना, मोबाइल के युग में मुश्किल है अब उन दिनों का आना, होलिका दहन की तैयारी में हफ्ते भर से जुट जाते, सारी सखियाँ मिल जाती साथ में गोबर वल्ले बनाते, गोल गोल वल्लो की माला उसमे सुंदर आकृति, पान का पत्ता, बड़ी जिबान, सूपड़ा, सुपारी और छन्नी, इन सबको सारा दिन गोबर गूंध गूंध कर बनाते, सबसे बड़ी हो अपनी माला यह उत्साह बढ़ाते, कोडियो के बीच रखकर कंकर नारियल बड़ा बनेगा, भैया के हाथो से नारियल होलिका में चढ़ेगा, बड़ी बड़ी मालाएं लेकर  होलिका दहन को जाते, पुजा करते माला चढ़ाते फिर फेरे फिराते, वहाँ पहुँचकर नाप ली जाती किसकी माला सबसे बड़ी, वो लड़की को देखो कैसे  ख़ुशी में फूलकर वो खड़ी, जीत हार तो बहाना है स्वास्थ्य सभी का बढ़ाना है, कंडो के धुँए से सारी बीमारियों को भगाना है, पर अब कहाँ वो लड़कियाँ है कहाँ है वो उत्साह, चंद पलों का होलिका दहन फिर अपनी अपनी राह। *नूतन पू.त्रि.*