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बेटी का महत्व

आज अचानक मन बह गया उस और भ्रुण हत्या के मामले दर्ज है चहू और सोचा इस पाप के खिलाफ मैं भी करू कुछ कोशिश ज्यादा कुछ नही तो अपनी कविता मैं ही कुछ लिख भ्रुण हत्या के खिलाफ मैने भी एक कविता बनाई है बेटी की महत्ता को अपनी कविता से दर्शायी है की बेटी नही है बच्चे का टुटा फुटा खिलोना वह तो है सच करने वाली माता पिता का सपना सलोना बेटी को तुम बचाकर देखो पाओगे सच्चा सुख सोख लेगी धरती की तरह तुम्हारे सारे दुःख वह है गुनगुनी धुप सुबह की दमकती लाली कभी तुम्हारे मान के खातिर बन जाएगी काली जान तुम्हारी उसको है अपनी जान से प्यारी नाम तुम्हारा रोशन करेगी तुम्हारी बिटिया रानी सोचते हो बेटा आगे बढाएगा तुम्हारा वंश पर वह भी एक बेटी ही होगी जो पालेगी तुम्हारा अंश बेटी नही बचाओगे तो बहु कहा से लाओगे जब बहु नही ला पाओगे तो वंश कैसे बढाओगे क्यो सोचते हो बेटी एक दिन तुम्हे छोङकर जाएगी कन्या दान का महापुण्य नाम तुम्हारे कर जाएगी बेटीया नही होगी तो बहन कीसे बुलाओगे रक्षाबन्धन के दिन राखी कीससे बंधवाओगे कीसके साथ लोगे तुम जन्मो के सात फेरे क्योकि पत्नी के बिना तुम रह जाओगे अधुरे मॉ के आंचल