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स्वामी विवेकानंद जी
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गर्व कहो या घमंड कहो हम सबको यही सुनाएंगे, जब देश का गौरव विवेकानन्द जी तो गीत गर्व के गाएंगे, ऐसा मिला नेतृत्व हमे की राह सही तैयार मिली, उनके उद्बोधन से देश ही नही विदेश की भी धरती खिली, याद रखे जमाना अब तक उम्र रही फिर कम भी तो क्या, प्रेरणा अब तक युवाओं की फिर उम्र भी ये कोई कम है क्या, जो सम्मान, जो गौरव हमको दुनिया भर से प्राप्त हुआ, विवेकानन्दजी का ज्ञान जो पूरी दुनिया भर में व्याप्त हुआ, सरल, स्वच्छ, स्पष्ट हो जीवन ऐसा जन में भाव भरा, जन्म से उनके पावन हुई है भारत देश की यह धरा, मशाल लेकर दौड़े जग में हर और किया फिर उजियारा, हिन्दू धर्म को जाना जग ने लगने लगा वह सबको प्यारा, ऐसे तेजस्वी महापुरुष को वंदन हम हर बार करे, स्वामी विवेकानन्दजी हमारे इस वंदन को स्वीकार करे, और हम सबके मन वो अपने सद्गुण और सद्भाव भरे।
पुत्र के संस्कार
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ना कोई सम्पत्ति काम आएगी और ना ही ऊँची ऊँची शिक्षा, बुढ़ापे में जब दोस्तों से मिलोगे तब प्रश्न यही होगा की अच्छा पुत्र है किसका?, तब ये कोई नही जानना चाहेगा की आपका बेटा कितना कमाता है? प्रश्न यही होगा की क्या आपका बेटा आपको सम्मान देता है? 2 वक्त की रोटी ही काफी है यदि बेटा हो पास, वरना आलीशान सुविधाएँ भी सजा लगती है व्यस्त बेटे के साथ, इसलिए संस्कार दो बचपन से की जीवन जीना सुकून से, मत लिखना कभी सफलता माता-पिता के अरमानों के खून से, नाजो से पालो वह खून है आपका, पर संस्कार दो ऐसे की भागी ना बने किसी पाप का, आपका बेटा सिर्फ आपकी नही कमाई, कई बार दुसरो को झेलनी पड़ती है आपके बेटे की रुसवाई, संस्कार दो ऐसे की सम्मान करे वह आपका, क्योकि प्रेम में ही परम् आनन्द है और चकाचोंध कारण है सुखों के नाश का, एक और महत्वपूर्ण संस्कार जो आज के बेटों को जरूरी है, जिसके बिना संस्कारो की शिक्षा बहुत अधूरी है, नारी के सम्मान का नजरिया उनके पास हो, निडरता से जिए हर नारी देश के बेटों पर उसे विश्वास हो।