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गीता सार - दशम् अध्याय

दशमे अध्याय मे भगवान बोले मेरी लीला को कोई ना जाने क्षमा , सत्य , तप , दान , कीर्ती सभी भाव मुझसे ही तो है जगत की उत्पत्ति का मैं कारण निरन्तर भजते मुझको भक्तजन जय श्री कृष्णा का गान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे केशव जगत के स्वामी हे माधव आपको कैसे जानूँ भगवन कैसे करूँ आपका चिन्तन अमृतमय वचनो को कहिए सुनने का मन बना रहता है विस्तार सेे दे मुझे ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे अर्जुन बोले भगवान अंत ना विस्तार का तु मान दिव्य विभुती का अंत नही तेरे लिए संक्षेप मे कही जो भी वस्तु है युक्त विभुति मेरे ही अंश की है अभिव्यक्ति जग अंश है मेरा मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

स्वतंत्र सोच

खुशनसीबी तब होगी जब देश के खातिर कुछ कर जाऊँ अपने देश को नं. 1 के उस शिखर तक मैं पहुँचाऊ ईश्वर से एक विनती है तु जब चाहे बुला लेना पर कफन हो तिरंगे का इतना उपकार दिखा देना