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यमराज जी से हुई गलती

एक बार यमराज जी से गलती जाने क्या हुई कीसी और के हिस्से की सजा मुझको हो गई स्वर्ग लोक जब पहुंची तो था कितना सुन्दर नजारा हर तरफ बादल ही बादल बहुत मजा था आ रहा वही कही बादलो के बीच छुपा था एक कार्यालय खुसुर पुसर की आवाजे वहाँ से बार बार आए पास गई तो देखा की बातचीत कुछ खास है चिंतित है सबके चेहरे देवी देवता उदास है स्वर्ग लोक मे हूँ तो क्या गुण इंसान के है कान लगाने की आदत इंसान मे होती है बातचीत का विषय ये था ओह उफ ये इंसान इंसानो ने देवताओ को भी था किया परेशान बातचीत ये थी की लीला हम ही अब तक करते थे पर मानव की लीलाओ को समझना हमसे मुश्किल है विष्णु जी बोले है यमराज ये आपने क्या किया लाना था किसी और को और दूसरे को ही उठा लिया यमराज जी ने सर पीटा और बोले कर दे क्षमा प्रभु इंसानो का दिमाग है तेज आगे अब मैं क्या करूँ इंसानो ने दिमाग से अपने अविष्कार जो नए किए अब तक तो इंसानो पर अब हम पर भी आजमा लिए हम भगवानो को तो इंसान समझता है कुछ भी नही और तो और ये कहता है की भगवान तो होते ही नही इंसानो के अविष्कार ने चकमा मुझको दे दिया अविष्कार ये था की दो इंसान की मौत को बदल दिय