मोर कि कहानी
एक दिन भगवान ने सोचा देखूँ दुनिया के रंग घुमते हुए उन्होने देखा पशु पक्षी तो रह गए बेरंग सोचा ये दुनिया हर तरफ से है कितनी सुन्दर प्यारे रंग - बिरंगे फुल खिलते है इसके अन्दर तब बहुत ना इंसाफी हुई इन पशु पक्षियो के साथ जल्द ही इसका उपाय करना होगा हाथो हाथ इन्द्रधनुष से उन्होने लिए कई सारे रंग अब नही रहेंगे ये पशु पक्षी बेरंग आदेश दिया उन्होने मोर को वहाँ बुलाया इन रंगो से तुम बदलोगे पशु पक्षियो कि काया मोर ने अपना फर्ज ईमानदारी से निभाया हर पशु-पक्षी को उनके पसंद का रंग लगाया तोता बोला मुझे चाहिए हल्का रंग हरा शेर वही से बोला रंग दो मुझे सुनहरा तभी वहाँ से आवाज आई भालू वहाँ से बोला मेरी पसंद तो हटके है मुझे चाहिए कोला सभी पशु-पक्षियो कि इच्छा तो हो गई पूरी लेकिन रह गया मोर बेरंग उसकी इच्छा अधुरी मोर ने सोचा कुछ न कुछ तो करना होगा उपाय मेरी भी इच्छा हो पूरी पर रंग कहा से आए तभी रंग के ङिब्बो पर गया मोर का ध्यान हर एक रंग लगाकर बढ गई सुन्दर मोर की शान तभी बादल गरजे और जोर का पानी आया पंख फैलाकर मोर ने अपना सुन्दर नाच दिखाया मोर कि सुन्दरता है इस बात का सबूत दुसरो