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नया साल- 2022

साल की बिदाई हो या नए साल की बधाई हो उत्साह कभी कम नही होता, हिंदुस्तानी को कोई  खुशियां मनाने से रोक ले इतना किसी मे दम नही होता, हम सभी अपने अपने त्यौहार  श्रद्धा-भक्ति से सजाते है, हम हिन्दू तो वर्ष में तीन नववर्ष मनाते है, हम सभी के पास अपने-अपने त्यौहार भरपूर है, फिर भी एक-दूसरे के त्यौहार में हम उत्साह में चूर है, हम हर धर्म के त्यौहार में देश को उत्साह से सजाते है, इसीलिए तो हम अनेको में एक हिंदुस्तानी कहलाते है....। नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।

व्हाट्सअप डीपी - संस्मरण

ये बात उस समय की है जब मेरी सगाई हुई थी....... सगाई से शादी के बीच करीब एक साल का समय रहा। अब आप तो समझते ही होंगे कि सगाई से शादी के बीच प्यार के साथ-साथ नोक-झोंक भी उतनी ही होती है। अब बात कुछ यूं थी कि हमारी नोक-झोंक झगड़े में बदल गयी और झगड़े का नतीजा ये रहा कि हम दोनों ने अपनी व्हाट्सअप प्रोफाइल (डीपी) हटा दी.....। अब ये जब मेरे परिवार ने मेरा और इनके इधर इनका मुड़ परिवार वालो ने भांप लिया...फिर सबकी नजर व्हाट्सअप प्रोफाइल पर पड़ी जिसे खाली देखकर सभी को पता लग गया कि हमारा झगड़ा हुआ है....परिवार वालो ने हमारे बीच मे पड़ने की बजाय कुछ दिन इंतजार करने का निर्णय लिया.....कुछ दिनों तक सभी की नजर हमारी व्हाट्सअप प्रोफाइल पर रही.....फिर कुछ 3,4 दिनों के बाद जब हमारे बीच सुलह हुई... हमने अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदली....सबने देखी......तब कही जाकर सभी ने चैन की सांस ली। एक प्रोफाइल पिक्चर ने सारी परिस्थिति गढ़ दी...। 😀😀😀😀😀😀😀

जिंदा

जिंदा होने से क्या होता है? जिंदा लगना भी तो चाहिए, इस दुनिया मे हर तरह के रंग तो है, पर खूबसूरत रंगों से जीवन सजना भी तो चाहिए....।

बिगाड़ना

जिनकी आदत है बिगाड़ने की वो बिगाड़ते रहे, सुधारने की कला हमारे पास भी है ना, ऐसे ही किसी को भी  अपने जीवन से थोड़ी ना खेलने देंगे, पर हाँ वो गिरी हुई हरकत करेंगे  तो हम थोड़ी ना बदले में  अपनी कला छोड़कर  गिर जाएंगे।

मैं खुद से

ना किसी से जलती हूँ, और ना किसी से आगे बढ़ना चाहती हूँ, मेरी चाहत है बस इतनी की खुद को खुद से बेहतर बनाकर जीवन मे सँवरना चाहती हूँ....।

पुरातत्व स्थान

कोई खंडर कहता है,  कोई जानना नही चाहता कहानी,  पर ध्यान रखना हर पुरातत्व स्थान  दर्शाता है अतुल्य भारत  जो है हमारी अनमोल निशानी ।

अंधेरी राह का सुहाना सफर

*अंधेरी राह का सुहाना सफर* अंधेरी राह पर चल रही हमारी कार, बारिश का मौसम है सामने कांच पर  गिर रही  चमकीले मोतियों की बौछार, सुहानी सी हवा है, सोंधी सी खुशबू बिगड़े मन की दवा है, कार के पहिये  कभी धीमे से तो कभी तेजी से घूम रहे, ऐसा लगता है जैसे वो भी सुहाने सफर की मस्ती में झूम रहे, गाने चलते है रेडियो में पुराने, मन करता है ये सफर थम जाए यही कुछ बने ऐसे बहाने, पर यह मौसम तो कुछ ही समय मे थमेगा, लेकिन जो छवि मन मे छपी इस सफर की, वह यादों की किताब में सुंदर पृष्ठ बनेगा.....। *नूतन पू.त्रि.(ओझा)*

उत्साह बड़ा उत्साही

*उत्साह बड़ा उत्साही* उत्साह शब्द भी बड़ा उत्साही है, जिसके दिमाग मे चढ़ जाता है, उसके जीवन मे उतर जाता है, और जब जीवन मे उतर जाता है, तब हर छोटी बात पर भी  फुदक कर बाहर आता है, इसका समाज बहुत बड़ा होता है, यह हर रूप में खड़ा होता है, किसी मे तो छोटी बात पर भी बाहर आ जाता है, तो किसी मे बड़ी बात पर भी आने में शर्माता है, वैसे तो ये बड़ा शरारती है, कभी मनमोहक तो कभी हठी है, पर इसके सारे रूप निराले है, उत्साही लोग ही तो कहलाते दिलवाले है, निरुत्साही भी सबके दिलों पर  मौज कर दे, पर कोई तो उसके दिल मे भी उत्साह भर दे, क्योकि उत्साह शब्द भी  बड़ा उत्साही है, इसको दिल मे उतार लो, फिर जीवन अपने आप मे शाही है....। *नूतन पू.त्रि.(ओझा)*

शादी हुई तो क्या?

शादी हुई तो क्या? पर मुझको कही तो  वैसा ही रहने दो, कही समझदार बन जाऊँ पर कही तो बच्चा रहने दो, दिल में दर्द दिमाग मे चिंता, सब आता है आएगा, समय को कैसे टालोगे तुम समय तो बदला जाएगा, पर दिल से कहना चाहू मैं, मुझको बात ये कहने दो, हर बात को पार को लेंगे बस दिल मे बच्चा रहने दो, समझ, सीख तो भाव है वो आते आते आएंगे, नया सफर है, अलग है राह, पर चलना सीख ही जायेंगे, कठिनाई तो हर पड़ाव में उसे वही पर रहने हो, पार कर सबको बढ़ जाएंगे, बस दिल मे बच्चा रहने दो......।

जन्मदिन पर बधाइयां

जन्मदिन तो आता है, और हर साल आएगा, पर वो अपने आप खास थोड़ी ना बन पाएगा, कुछ यादें कुछ बाते एक मौका है जब होती भूले बिसरो से बातों में मुलाकाते और जब होती है दुआओ में ढेर सारी बधाइयां, आप सभी की शुभकामनाओं  से ही तो होती, दूर बला और बुराइयां, मेरे जन्मदिन को बनाने के लिए खास आपके जीवन मे मेरी जगह का कराने को एहसास, करती हूं मैं आपका बहुत-बहुत आभार बस ऐसे ही जोड़े रखने रिश्तों के ये तार........। आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.....।

जन्मदिन

🎊🎊एक बात👆🏻🎊🎊 जिस साल से आपका मन आपके जन्मदिन आने पर उत्साहित होना छोड़ दे उस साल से समझो आपके जीवन से उमंग जा रही है.....। क्योकि जन्मदिन ही तो हमारा अस्तित्व है तो उस पर खुश होना तो बनता है.....आखिर दिल तो बच्चा है जी.......❤️❤️🥳🥳

कवि सम्मेलन

*कवि सम्मेलन* कही दूर खड़े होकर वो देखते है कुछ लोग ऐसे भी होते है जो कवि सम्मेलन से झेंपते है, जाने किस तर्ज पर  प्रस्तुत करते है अपने तर्क, कवि सम्मेलन से भागे दूर ऐसे जैसे सुना हो कही से की कवियों से रहना सतर्क, अब कौन उन्हें बताए? कैसे उन्हें समझाए? की शब्दो के मोती संजोना, एक ड़ोर में उन्हें पिरोना, कोई मोती अनुचित लगे तो फिर विच्छेदन कर पुनः नया संजोना, आसान नही होता, जब तक मन के भाव सटीकता से कागज पर ना बिखरे, कवि की उलझनों का समाधान नही होता, ऐसे साहित्य के रस का संगम बड़ा अनूठा है, कवि सम्मेलन में बैठा हर व्यक्ति जब इस संगम में डूब कर जाता है, वह मंत्रमुग्ध हो जाता है, वह मंत्रमुग्ध हो जाता है......। *पूजा त्रिवेदी ओझा (नूतन पू.त्रि.)*

जिन्दगी

जिंदगी जीने के तरीके ढूंढो नही तो जिंदगी कटने लग जायेगी, आप समझ ही नही पाओगे और जिंदगी छंटने लग जायेगी, माना अकेले आये थे  और अकेले जाना है, पर अपने आप को खुद से  इतना भी न बांधो, की किसी से कोई मतलब नही, गलत बातों से मतलब ना रखो पर बाहर खुलकर सांस लो और जी लो ये अनमोल जिंदगी, क्योकि जाती जिंदगी फिर नही आएगी.....।

स्वतंत्रता दिवस- २०२१

स्वतंत्रता दिवस है स्वतंत्र हैं हम पर सोच भी स्वतंत्र तो होनी चाहिए ना, जिन्होंने दी हमें आजादी की खुशियां  उनकी तरफ झुकाव भी तो होना चाहिए ना, आजादी की चाह थी जिन्हें  वह तो आजादी जी ना पाए, पर हमें देखकर सुकून मिले उन्हें आजादी को उस अंदाज से  जीना चाहिए ना, फिर गुलामी की तरफ बढ़ रहे हम अपने कदम अभी ही रोक ले स्वतंत्रता दिवस पर ये संकल्प तो होना चाहिए ना...। स्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ

सुन जिंदगी

सुन जिंदगी थोड़ा तो सम्भल ना, कभी रुक जाती है, कभी भागने लगती है, अरे मेरे इशारों पर  थोड़ा तो टहल ना, नही माँगूंगी मैं तुझसे बहुत ज्यादा, घबरा मत गलत नही है मेरा इरादा, पर इतने प्रेम से कह रही हूँ, मेरी बातों से थोड़ा तो बहल ना, सुन जिंदगी थोड़ा तो सम्भल ना, मेरे इशारों पर थोड़ा तो टहल ना.....।

बारिश

कितना प्यारा है ये मौसम इसे जीने को दिल चाहता है, सोंधी सोंधी खुशबू हवाओ के साथ आती है, मन को छू जाती है, मुस्कुराहट दे जाती है, आसमान से बौछारें जब  धरती को छूने आती है, संगीत इतना प्यारा मन हल्का कर जाती है, बारिश की बूंद  मेरी बालकनी पर पड़ती है उस बून्द में से कई बूंदे बिखरकर मेरे चेहरे पर आती है, और मन को ताजगी भरा सुकून दे जाती है.....।

जीवन

जीवन रंगीन मिले यह किस्मत की बात है, और ना मिले तो  रंगों को भरना आना चाहिए, रंगों में भी एक जादू है, आकर्षक बने जीवन वो रंगों का चुनाव आना चाहिए, रंग तो भर लेता है हर कोई पर जीवन को जितना लगे उतना रंगों का अंदाज आना चाहिए, और अधिक रंग ना भी मिले कभी तो काले सफेद रंगों से भी सुंदरता उकेरते आना चाहिए, जीवन तो है ही सभी का, पर जीवन जीते कैसे है? वो अंदाज आना चाहिए.....।

ब्राह्मण

यदि हम पुराणों में लिखी इस बात को स्वीकारते है कि ब्राह्मण जाति सबसे उच्च है तो हमे यह भी स्वीकारना चाहिए कि ब्राह्मण के कर्तव्य अन्य जाती से कठिन व सजा सभी जातियों में सबसे कठोर है। पुराणों में ब्राह्मण को उच्च जाति कहा गया यह सोचकर पुराणों के विषय मे गलत विचार लाने की बजाय यह जानने की कोशिश करे कि ऐसा क्यो???? अधूरा ज्ञान सर्वदा विनाशक है...। @@@@@@@@@@@@@@@@@ यदि आप मानते हो कि हम ब्राह्मण है  हमारी जाती सबसे उच्च है, तो यही  समय है जब आप ब्राह्मण के कर्तव्यों  को नजदीक से जानकर उन पर अमल  करना शुरू कर दो। @@@@@@@@@@@@@@@@@ किसी पुराण में पढ़ा था कि मूर्ख व अपने कर्तव्यों से विमुख ब्राह्मण को दिया गया दान व्यर्थ है...। अर्थात ब्राह्मण को उच्च जाति का दर्जा क्यो दिया गया? यह समझना अति आवश्यक है।

आजकल के रिश्ते

सब लोग अपने मन मे लिए गुमार बैठे है, उलझन बड़ी है रिश्तों में सब ऐसे ऐंठे है, समझने की अब बात कहाँ बस "मैं ही क्यो?" तो चलता है, सब अपनी जगह है डटे हुए यहाँ कोई ना थोड़ा हिलता है, वो कहते उसने गलत किया ये ढूंढे उसकी गलती कुछ, छोटी छोटी बातों पर सब जाते एक दूजे से रुठ, अब वो पहले सा प्यार कहाँ  अब वो पहले सी बात कहाँ, वही प्रेम तलाशे रिश्तों में हुए हताश ढूंढे यहाँ वहाँ....।

सरकार...लायक या नालायक?

*सरकार...लायक या नालायक?* सरकार नहीं तुम लायक हो  तुम तो पूरी नालायक हो,  देश से तुम्हें फर्क ही क्या तुम एक जाति की सहायक हो,  बस एक जाती को बढ़ाना है  उतना ही तुम्हारा मकसद, फिर हो चाहे घाटे का सौदा लगे कितनी ही कीमत,  तुम 40% वालों को  थमा देते हो हर पद, और 90% वालों को  नहीं समझते बेहतर, मरीजों की तुम जान थमा दो  उन लोगों के हाथ  जिन्हें जान बचाना आता नहीं बस चाहे डॉ के ठाट, बच्चों के तुम भविष्य से खेलो  करते ऐसी हरकत, जो खुद शिक्षा में पीछे रहे वो बने सरकारी शिक्षक, जनता की सुरक्षा भी तो तुम्हारे कर्तव्य में नही आती, जो खुद लड़कर ना जीत सके  उन्हें मिलती वर्दी खाकी, हम यह नहीं कहते कि आगे बस हम ही बढ़ते जाए पर देश का हो नुकसान  भला हम कैसे सहते जाए? कोई करता इच्छा जाहिर की हमे बनना कलेक्टर, डॉक्टर, हां बेटा तुम बन जाओ कह देते सर सहलाकर, मजाक है क्या देश कोई जो उसकी इज्जत से खेल रहे, प्रतिभाशाली होते हुए भी पिछड़ा उसे बना रहे, बढ़ाना है जनजाति को तो चलना उन्हें सिखाओ, ना कि उठाकर गोद में दोड़ो, पंगु उन्हें बनाओ, बजाय इसके इतना करते  तुम सबको बराबर लाते, जिसकी प्रतिभा जिस क्षेत्र में हो उ

वास्तविक दान व उससे मिलने वाला सुख- लघुकथा

 भिक्षां देहि... भिक्षां देहि.....  साधु ने दो बार आवाज लगाई लेकिन कोई बाहर नहीं आया किंतु इस घर से उन्हें रोज भिक्षा मिलती है तो उन्होंने सोचा एक बार और आवाज लगाऊँ भिक्षां देहि..... फिर भी कोई बाहर नही आया तो वो साधु जाने लगे इतने में एक व्यक्ति झल्लाकर बाहर निकला और बोला क्या है? साधु विनम्रता से बोले- क्या बात है बेटा बड़े दुःखी दिखाई देते हो? चिंता मत करो ईश्वर सब ठीक करेंगे..। वो व्यक्ति फिर झल्लाया और बोला- कौन ईश्वर? कैसे ईश्वर? कहाँ के ईश्वर? मैंने ईश्वर में मानना छोड़ दिया है बहुत भक्ति कर ली कुछ नही मिला अब और नही। मैंने अभी अभी हिसाब लगाया साल भर में मैंने जितना दान दिया उसका दुगुना होकर मुझे मिलना चाहिए था लेकिन आधा भी नही मिला। साधु हँसे और बोले- बेटा.... तुमने सालभर कितना दान किया है उसका नही कितना धन व्यर्थ किया है उसका हिसाब लगाया है क्योकि फल उस दान का मिलता है जो श्रद्धा व निःस्वार्थ भाव से दिया गया हो पर तुमने तो एक एक रुपये का हिसाब लगाया है और बदले में दुगुना मिला या नही उसकी गिनती भी कर रहे हो तो तुम्हारा दान तो व्यर्थ हुआ ही समझो..। वह व्यक्ति बोला- अच्छा माना मैंन

सेहत सम्भाल लेंगे??

विकट तो है समस्या पर कोई तो हल निकाल लेंगे, सेहत अपनी ही तो है फिर सम्भाल लेंगे, खाना-पीना, यही है जीना, उधड़ेगी जो सेहत तो डॉ सारे है ना, डॉ को जो ज्ञान है इतना वो कब काम मे लेंगे, सेहत अपनी ही तो है फिर सम्भाल लेंगे, ऐसी ही आजाद है सोच अब आजाद सारे पंछी, खाओ पियो, मौज करो सेहत तो बिगड़ती बनती, इतने हल्के में लेते सेहत को जबकि यही जीवन का आधार, मन बेचा विकृत आहार को हम करते ही नही इनकार, शरीर हमारा, सेहत हमारी, पर काबू करे कोई और, कितने अक्लमंद है ना हम जो खुद डाल कर गले मे फंदा किसी ओर को थमा दी डोर, विकृत आहार यू लगे सुहाना मन भी चाहे बार बार खाना, लेकिन जहर ये मीठा है हम कब ये समझेंगे? सेहत अपनी ही तो है  फिर सम्भाल लेंगे, कहते है कुछ लोग की खाते ये आहार हजार, उनमे से बीमार पड़ते बस कुछ लोग दो चार, तो कह दु तुम्हे ये भूल तुम्हारी पेट समस्या है आम, आदत पड़ गयी बीमारी की  इसलिए दिखता नही अंजाम, कब्ज, गैस, सर कमर में दर्द इनसे बचा है कौन? फिर भी तुम ये पूछते हो  विकृत आहार से बीमार पड़ता है कौन? जो समस्या एक मे थी आज एक मे बाकी नही रही, योग ने काफी सम्भाला है पर  उसमे भी नियमितता बनी नही,

मामाघर

दुनियादारी हर होशियारी सबको बाजू रख के, मामा के घर मौज करो यार बनकर छोटे बच्चे...। ☺️☺️

बसन्त पंचमी-२०२१

शुभ बसन्त आयो रे, शुभ बसन्त आयो रे, शुभ बसन्त आयो सखी मन मे उमंग छायो रे, नया नया मौसम है नई नई है बहार, आओ सखी झूमे हम प्रकृति ले रही अवतार, माँ शारदे के चरणों मे पूजन हम करते है, विद्या की देवी माँ के संगीत का ये त्योहार, शुभ बसन्त आयो रे, शुभ बसन्त आयो रे, शुभ बसन्त आयो सखी, मन मे उमंग छायो रे...। बसन्त पंचमी की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामना...।

14 फरवरी

आज का दिन तो देखो लोग इसे प्यार का दिन कहते है, इकरार का दिन कहते है, इजहार का दिन कहते है, तो लो उन्हें हो गया इकरार, की कौन है उनका प्यार, उन्होंने कर दिया इजहार, की हम वतन के है और वतन है हमारा प्यार, तिरंगे की आन पर मर मिटे ऐसा जस्बा उन्होंने दिखाया, सच्चा प्रेम वो जिस पर  जान भी न्यौछावर, शहीदों नमन है तुम्हे तुमने साबित करके दिखाया...। पुलवामा अटैक में शहीद हुए शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि💐💐

भारत को पहचानो

*भारत को पहचानो* वो कहते है मेरा भारत  दूसरे देशों से कितना कम है, एक बात मुझे बतलाना जरा  क्या अपने देश के साथ हम हैं? हम गलियों में चौपालों पर इकट्ठे होकर बात करें,  दूसरे देश से करके तुलना  भारत का उपहास करें, हम करते हैं उम्मीद की अपना  भारत सब की नकल करें, उनकी प्रतिभा को अपनाकर  आगे बढ़ने का श्रम करें, इतना कहने से पहले यदि  एक बार खुद में झांका होता,  भारत की प्रतिभाओं को भी  तुमने कभी आंका होता, भारत की प्रतिभा को निखारो  दुनिया भर से कम नहीं,  फिर भारत के आगे टिक जाए  इतना किसी में दम नहीं, भारत अपना उभरे पर हम  बोझ तले तो दबाते हैं, अपने स्वर्ण आभूषण को छोड़  नकली गहनों से सजाते हैं, नृत्य शैलियां है वरदान  अद्भुत आयुर्वेद बड़ा महान  प्रकृति के जो संग चलाए  ऐसी दिनचर्या का ज्ञान, चाणक्य की नीति देश में  पर अपनाएं कौन यहां? विदेशों में तो यह सब है  बस इतना ही दिमाग चला, ज्ञान मिला वरदान हमें  कभी विचार करने बैठे हो, पर तुम तो ठहरे नकलची बंदर  नकलों में ही ऐठे हो, ज्ञान नहीं विज्ञान भी गहरा  खोजकर तो देखा होता, साथ दिया होता हमने तो  ज्ञान भारत का ना खोता, पर सोया ही है खोया नह

गुरु होते सर्वव्यापी

गुरु होते सर्वव्यापी ज्ञान पाए हर जन, ईश्वर के दूजे रूप का गुरु है वर्णन, ना होते अगर गुरु तो अंधी होती दुनिया, ज्ञान के प्रकाश से वंचित होती दुनिया  ना होती फिर महाभारत ना होती रामायण  गुरु ज्ञान ना लेते राम कृष्ण ज्ञान ना अर्जुन...।

गुरु

गुरु नहीं सिर्फ शब्द है,  गुरु की महिमा अपार,  गुरु ज्ञान जो सोख ले,  जीवन हो साकार, गुरु अगर ना पास हो, फिर भी हमारे हो साथ, शुद्ध व्यक्तित्व चाहिए तो  थामो गुरु का हाथ।