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नववर्ष

तारीखे बदलती गयी समय बदलता गया, फिर सुख दुःख का पहिया चलाने नया साल आ गया, पुरानी बाते भूल भुलाकर आगे बढ़ना जीवन है, समृद्धि की राह का पहला कदम समर्पण है, हर रोज नई सिख के साथ आओ अगला कदम बढ़ाये, नए साल को हर साल से और अधिक सुंदर बनाये, यह नया साल आपके लिए खूब खुशियां लाये, आपको नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामना ये

गीता सार - अठारहवाँ अध्याय

अठारहवें अध्याय में अर्जुन बोले त्याग , संन्यास की बाते खोले भगवान् दे रहे है यह ज्ञान राजसी , सात्विक , तामसी का भी ज्ञान कर्म , त्याग , कर्ता और ज्ञान इनके भी तीन प्रकारों को जान बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 मैंने रहस्य ये तुझसे कहा तूने मन से इसे श्रवण किया रहस्य कहना जिससे भी तुम श्रवण करने का हो उसे मन बिन इच्छा वालो से न कहना मुझमे ही लीन हमेशा रहना मोह है छूटा तमाम कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 संजय ने इस ज्ञान को सुना रूप देखा है हजारो गुना स्मरण कर हर्षित हो रहे चित्त में महान आश्चर्य भी है कृष्ण , अर्जुन जहाँ स्थित है विजय वही पर प्राप्त होती है संजय का मत मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 गीता सार - समापन "अठारह अध्याय की गीता का ज्ञान सुना हमने अर्थ महान मन से समझे जो गीता को हो जीवन उसका निहाल 3"

गीता सार - सतरहवां अध्याय

सतरहवे अध्याय में भगवान् बोले राजसी , सात्विक , तामसी क्या है कहे कृष्ण ये श्रद्धा होती मनुष्य के स्वभाव से निर्मित तीन प्रकार की होती है ये राजसी , सात्विक तथा तामसी है तू मुझसे ये जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 सात्विक पुरुष देवो को पूजे यक्ष , राक्षसो को राजसी पूजे भुत , प्रेतो को पूजे तामस तीनो का भोजन होता है अलग सात्विक को प्रिय स्वस्थ भोजन कड़वे , खट्टे राजस का मन तामस का बासी जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 श्रद्धा से पूजे श्रद्धा से दे दान सत् कहलाता है श्रद्धा मन बिन श्रद्धा के जो कोई पूजे असत् होता है दान भी चाहे न वह इस लोक में लाभदायक है मरने पर भी कुछ नही है श्रद्धा का रखना दान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2

गीता सार - सोलहवाँ अध्याय

सोलहवे अध्याय में भगवान बोले मनुष्य दो सम्पदा का है पहली होती देवी सम्पदा दूजी आसुरी सम्पदा है भय ना कर तू ना घबरा देवी सम्पदा में तू हुआ कर्म मनुष्य के जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 क्षमा, तेज शुद्धि बाहर की शत्रुभाव न होना जरूरी देवी सम्पदा के लक्षण है ये आसूरी के जाने क्या होते दम्भ , घमंड , क्रोध , अभिमान अज्ञान और कठोरता भी है स्वर्ग , नर्क का ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2

हम लड़की है तो क्या हुआ

कुछ आस हमे भी होती है कुछ चाह हमे भी होती है हम लड़की है तो क्या हुआ परवाह हमे भी होती है कुछ हम भी करना चाहते है कुछ हम भी बनना चाहते है हम लड़की है तो क्या हुआ जीवन में संवरना चाहते है जब लक्ष्मीबाई जैसा है दम बुजदिल खुद को क्यों माने हम हम लड़की है तो क्या हुआ हमसे ही तो है हर जन्म हम बात पते की करते है हर राह पर आगे बढ़ते है हम लड़की है तो क्या हुआ खतरों से हम ना डरते है एक सोच नयी बनाएंगे हर राह में हमको पाएंगे हम लड़की है तो क्या हुआ साबित करके दिखाएंगे

नारी

जो हरपल सोचा करती है जो हरपल देखा करती है एक बात यही उसके मन में की क्यों वो इतना डरती है अपनों में ही सारी दुनिया उसने तो बस देखी थी सबको खुश करने में ही बस वो busy रहती थी कोई ऐसा आया जिसने उसको यु बर्बाद किया ख़ुशी से जीवन जीने का हक यु उससे छीन लिया उसको फर्क क्या पड़ता है सजा है इसकी कड़ी नही पर वो तो अब चेन से जीवन जी पाएगी नही लोगों के इन तानो ने उसको यु झकझोर दिया उसकी गलती ना थी फिर भी सबने यु मुँह फेर दिया कुछ लड़ी इन्साफ के खातिर कुछ ने जीना छोड़ दिया नारी की गाथा पर ना सरकार ने अब तक गौर किया लोगों की हमदर्दी को वो हरपल देखा करती है कब होगा सम्मान मेरा हरपल सोचा करती है वो हरपल सोचा करती है

विश्वास

जिसके होने से रंगीन है सुबह, जिसके होने से ठंडी है शाम, हर रिश्ते की डोर उसी के हाथ में, शब्द है ऐसा विश्वास उसका नाम

गीता सार - पंद्रहवाँ अध्याय

पंद्रहवे अध्याय में भगवान बोले पीपल संसार रूपी वृक्ष है वेद पत्ते जिसके कहे है देव , मनुष्य आदि शाखाएं ममता , वासनारूप है जड़े विचारकाल का वृक्ष नही ये आदि , न अंत है इसका जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर की माया का ज्ञान है मुश्किल कैसे परिवर्तन होता है आत्मा शुद्ध हो वह है ज्ञानी रहस्य वही जान पाता है अज्ञानी करे यत्न कितना ही आत्मा को जान नही पाता है हर तेज में मुझको जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे निष्पाप सुन ले हे अर्जुन मुझे जो जाने वो हे ज्ञानी जन हर प्रकार से हर रूप से मुझको भजता है उसका मन इस रहस्य को जो जान जाता शास्त्र मेरे द्वारा जो कहा वह हो जाता ज्ञानवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - चौदहवाँ अध्याय

चौदहवे अध्याय में भगवान बोले परम ज्ञान को फिर से कहूँ मैं जान जिससे हुए है मुक्त मुनिजन परम सिद्धि को प्राप्त हुए है प्रकृति सब जीवो की माता सब प्राणी , जीवो का पिता मैं माता, पिता भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर को बांधे जो तीन गुण ये सत्व , रजो व तमोगुण है सत्वगुण उत्पन्न ज्ञान हो रजोगुण से लोभ प्राप्त हो तमोगुण है मोह का दाता और अज्ञान भी प्राप्त है होता तीनो गुण को जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे भगवन किन लक्षण से ये तीन गुण सुन अर्जुन बोले भगवान इन लक्षणों को तू जान मुझको निरंतर जो भजता है इन गुणों को लांघ जाता है आश्रय मुझको जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

सुप्रभात्

शुरू हो गई ठंड शरीर कपकपाए, सूरज की गर्मी सुकुन सा दे जाए, जीवन मे खुशियाँ कुछ इस तरह आती रहे, की हर सुबह आपकी एक नई याद बन जाए। सुप्रभात्

कौन सूखी, कौन दु:खी

खुद तो कभी सुधर ना सके पर बात करे जमाने की, औरो के सपने जो छिने बात करे अरमानो की, ख्वाबो की दुनिया भी देखो कितनो की है उजड गयी, खुशियाँ द्वारे कितनो के आते आते लौट गयी, उनकी दुनिया अलग ही होती कोई दखल ना देता है, कोई ना चाहे देखना जाने वह कैसे सोता है, चेहरे उनके देख के देखो जिनके तन पर कपडे नही, पर चेहरे पर ढुंढ के देखो दिखती है क्या सिकंज कही, दुख को कैसे खुशी बनाए तरकीब खूब ये आती है, पर तुम्हारी खुशियाँ कैसी चिंता साथ में लाती है, एैसे मे मैं समझ ना पाऊँ कौन सुखी और दु:खी है कौन, जिसने दु:ख को खुशी बनाया या जिसने चिंता का लिया है लोन, पर अमीरो सा पैसा है ईश्वर देना चाहे ना देना, पर हो दिल गरीबो सा इतना उपकार दिखा देना, दया , करूणा , अपनापन इंसान के गुण होते है यही, और कुछ मैं बनूँ ना बनूँ अच्छा इंसान बना देना ।

समय

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है, जीवन खुशहाल होता नही बनाना पडता है। सपने बुनो कम और कोशिश करो ज्यादा, क्योकि समय कभी किसी का इन्तजार नही करता है।

गीता सार - तेरहवॉ अध्याय

तेरहवे अध्याय मे भगवान बोले शरीर को क्षैत्र के नाम से कहे क्षैत्र को जो भी जान जाता है क्षैत्रज्ञ उसे कहा जाता है क्षैत्रज्ञ , क्षैत्र का दे रहे ज्ञान सभी समाए मुझमे जान देते भगवन ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 तत्व ज्ञान, अध्यात्म ज्ञान मे देखना परमेश्वर को ज्ञान है इसके विपरीत जो भी होता है कहा एैसा वही अज्ञान है परब्रम्ह को सत् ना कहे ना ही असत् वो कहलाए जानने योग्य ये ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर मे स्थित परमात्मा पर ना ही लिप्त हो ना ही कुछ कर सूर्य जैसे प्रकाशित करता क्षैत्र को करे प्रकाशित आत्मा क्षैत्र , क्षैत्रज्ञ के भेद को जाने परब्रम्ह परमात्मा को पाए ले क्षैत्र, क्षैत्रज्ञ का ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - बारहवॉ अध्याय

बारहवे अध्याय मे अर्जुन बोले दो उपासको मे श्रेष्ठ कौन है भजन ध्यान मे लगे रहकर परमेश्वर को जो भजता है या निराकार ब्रम्ह को ही अतिश्रेष्ठ भाव से भजते है श्रेष्ठ का दीजीए ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान बोले मुझे भजे जो मुझको योगियो मे उत्तम है वो परन्तु ब्रम्ह को जो भजता है वो भी मुझे प्राप्त होता है यदि भजने मे असमर्थ है फल का त्याग करना भी श्रेष्ठ है भक्ति का दे ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 दयालु , क्षमावान , और संतुष्ट चतुर , पक्षपात से जो रहा छुट शरीर को वश मे जिसने भी किया वह भक्त अतिप्रिय मुझको है हुआ धर्म को निष्काम प्रेम भाव से अपनाए वो मुझे प्रिय है बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - ग्यारहवॉ अध्याय

ग्यारहवे अध्याय मे अर्जुन बोले विराट रूप को देखना चाहूँ मैं सुन है पार्थ भगवान बोले मेरे रूप को देख ना सके दिव्य चक्षु तुझे देता हूँ ईश्वरी योगशक्ति को देखे संजय भी करे बखान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे विष्णु रूप को देख व्याकुल मैं हूँ भयभीत होकर देख रहा हूँ धीरज अपना खो रहा हूँ प्रवृत्ति आपकी नही जानता मैं विशेष रूप से जानना चाहता हूँ प्रसन्न हो भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान बोले सुन अर्जुन नाश होना भी है तुझ बिन इसलिए तू आगे बढ नाश कर इनका युध्द कर अर्जुन बोले हे यादव चतुर्भुज रूप आप दिखलाओ भयभीत खुद को जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे अर्जुन भगवान बोले रूप चतुर्भुज तू देखे स्थिर हो गया है अब चित्त शांत मन से अर्जुन बोले कहे भगवान ये रूप मेरा दर्शन करना दुर्लभ है बडा सब समाए मुझमे जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

कुछ पल

कुछ पल भुलाए नही जाते , यादो से हटाए नही जाते, इसलिए हर पल को जियो खुशी के साथ, क्योकि एैसे पल जिन्दगी मे बार - बार नही आते
कुछ पल भुलाए नही जाते , यादो से हटाए नही जाते, इसलिए हर पल को जियो खुशी के साथ, क्योकि एैसे पल जिन्दगी मे बार - बार नही आते

ईश्वर का पैगाम

वाह रे इंसान तु भी कितना खुदगर्ज निकला ले रहा मुझसे मेरे एहसानो का बदला सोचा था की तुझको अपने सा बनाऊँ कण कण और रगो मे तेरी समा जाऊँ पर एैसा मैं कर ना पाया हुआ ना कुछ भी हासिल मेरे जैसा बनने को तु नही है काबिल सोचता है तु मैं जो चाहूं वही होता पर करता है कहाँ जो कुछ भी मैं कहता करता है तु अपने मन की सुने ना मेरी बात रहा कहाँ है तुझको अब मेरे पर विश्वास मेरे वश मे होता तो दुनिया बहुत अलग होती ना किसी का खोता बचपन और ना इंसानियत रोती फैसले लेना काम है मेरा पर चलाता दुनिया तू अपना जीवन तू ही बेचे अब उसमे मैं क्या करूँ इस दुनिया को तु ही बिगाडे खोकर अपना होश फिर बिगडे हालात कही तो मुझको दे दे दोष यहाँ पर तुझमे और मुझमे कुछ खास फर्क नही तेरे जैसा मैं भी बंधा हूँ नियम मे कहीं कई बार तु अपने जैसा मुझको भी समझ लेता जैसे तोडना नियमो को तेरे लिए आसान होता पर मैं हूँ इंसान नही जो अपने मन का कर पाऊँ जिसका जितना कर्म हो उतना ही मैं दे पाऊँ साथ रहूंगा तब तक मैं जब तक तुम चाहोगे फुल भी मैं बन जाऊँ जब काँटे होंगे राहो मे तेरी ख्वाहिश सुन लु मैं पर इच्छा अपनी कह ना सकुँ बस तु म

गणपति बप्पा मोरया

मूषक वाहन जिनका भागे शिश मुकुट और सुंड भी साजे एकदन्ताय, वक्रतुण्डाय शिव के सलोने गणराया हुआ निराश ना वो कभी दर पर तेरे जो आया नटखट गन्नु विघ्नहर्ता हरते सभी कलेश इसलिए हम कहते है प्रथम पुज्य गणेश

गीता सार - दशम् अध्याय

दशमे अध्याय मे भगवान बोले मेरी लीला को कोई ना जाने क्षमा , सत्य , तप , दान , कीर्ती सभी भाव मुझसे ही तो है जगत की उत्पत्ति का मैं कारण निरन्तर भजते मुझको भक्तजन जय श्री कृष्णा का गान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे केशव जगत के स्वामी हे माधव आपको कैसे जानूँ भगवन कैसे करूँ आपका चिन्तन अमृतमय वचनो को कहिए सुनने का मन बना रहता है विस्तार सेे दे मुझे ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे अर्जुन बोले भगवान अंत ना विस्तार का तु मान दिव्य विभुती का अंत नही तेरे लिए संक्षेप मे कही जो भी वस्तु है युक्त विभुति मेरे ही अंश की है अभिव्यक्ति जग अंश है मेरा मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

स्वतंत्र सोच

खुशनसीबी तब होगी जब देश के खातिर कुछ कर जाऊँ अपने देश को नं. 1 के उस शिखर तक मैं पहुँचाऊ ईश्वर से एक विनती है तु जब चाहे बुला लेना पर कफन हो तिरंगे का इतना उपकार दिखा देना

गीता सार - नवम् अध्याय

नवमे अध्याय में भगवान बोले ज्ञान - विज्ञान फिर से कहूँ मैं ज्ञान - विज्ञान यह विद्या का राजा पवित्र, उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला श्रृध्दारहित प्राप्त न हो मुझे संसारचक्र मे भ्रमण करते वे भक्त है मेरा मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 क्रतु मैं हूँ, स्वधा भी मैं हूँ यज्ञ मैं हूँ , औषधी भी मैं हूँ मन्त्र मैं हूँ , अग्नि भी मैं हूँ घृत मैं हूँ , क्रीया भी मैं हूँ इस सम्पूर्ण जगत का दाता माता , पिता व पितामह मैं हूँ सब वेदो मे मुझको जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 देवो को पूजे प्राप्त देवो को पितरो को पूजे प्राप्त पितरो को भूतो को पूजे प्राप्त भूतो को मुझे जो पूजे प्राप्त मुझमे हो प्रेम से फल , फूल जो चढाएँ प्रीतिसहित उसे ग्रहण करूँ मैं अर्पण कर सारा दान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

ईश्वर....5

ईश्वर अपने साथ है ना कर कोई चिंता ईश्वर की भक्ति करने से बिगडा काम भी बनता स्वस्थ्य जीवन देने का धन्यवाद हम करते है भक्ति है जब साथ हमारे मुश्किल से ना डरते है

ईश्वर....4

घोर कलयुग की शुरूआत लगता है अब हो गई ईश्वर की धरती पर आज जरूरत अब पडने लगी सहन करो अभी तो है कलयुग का पहला चरण क्या होगा जब आएगा कलयुगी चौथा चरण

ईश्वर ...3

मंदिर बने , मस्जिद बने, कई बने गुरूद्वारे पर आज कहाँ किसी के घर मे प्रभु पधारे कलयुग की भक्ति का तो रूप अलग ही हो गया भक्ति मे इंसान नही दिखावे मे ही खो गया

ईश्वर ...2

एक बार तो भक्ति मे तुम भी डूब कर देखो मीरा, सूरदास जैसे कई भक्त बने है लाखो ईश्वर की भक्ति मे उन्होने कुछ तो पाया होगा तभी तो दु:ख को दु:ख से नही हँसते-हँसते भोगा

ईश्वर ..1

इस शातिर दुनिया मे अपना कौन है कौन पराया जब भी मुश्किल आई तब ईश्वर ने हाथ बढाया ईश्वर की लीला को समझे हम इतने काबिल नही हमारा ही होता भला उनकी लीलाओ मे कहीं

ईश्वर

आओ चलो हम जग मे देखे सुन्दर सुन्दर नजारे फूल चमन मे खिलते है और पंछी गाना गा रहे मन को भाए इस रचना को देख कर एैसा लगता है कैसे होंगे प्रभु हमारे जब जग इतना सुन्दर है

त्रिवेदी परिवार की कहानी

लगता है एैसे जैसे रहते सारे यार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार गर्मी की छुट्टियो मे घर पूरा भरा होता क्योकि सबका main अड्डा यही होता भाई बहन जब सारे मिलते मचती थी तब धूम Adjust होकर भर जाता था दादीजी का room ठहाको की जब रोजाना लगती थी फुहार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार सभी बुआए कुक्षी मे साथ मे तब आती थी कोई अगर ना आए तो जबरदस्ती बुलाती थी नए कपडे पहनकर तब गायत्री मंदिर जाते थे कभी रास्ते मे आइसक्रीम तो कभी घर मंगवाते थे उस समय लगता था जैसे समा गया संसार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार छत पर पानी छिटते छिटते गंगा माता खेलते थे हॉल मे रस्सी का झूला बांधकर सब झूलते थे वट सावित्री के दिन घर पर आम की दुकान लगना तब कुलर तो था नही तो रोज रात छत पर सोना उन छुट्टियो मे दम था लगती थी मजेदार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार वो छुट्टिया अब कुक्षी मे वापस से ना आती है पत्तो की बाजी भी अब कभी कभी बिछ पाती है वो दिन ना कोई भुला है ना कोई भुल पाएंगे जब भी सारे साथ मे होंगे वो दिन तो याद आएंगे आज भी सब साथ मिले तो मस्ती होती बेशुमार बस कुछ एै

गीता सार - अष्टम अध्याय

आँठवे अध्याय मे अर्जुन बोले ब्रम्ह, अध्यात्म, कर्म ये क्या है अधिदैव, अधियज्ञ कौन है इस शरीर मे यह कैसे है परम अक्षर, ब्रम्ह, अध्यात्म, जीवात्मा भूतो के भाव को कर्म है कहाँ बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 बोले भगवान दो मार्ग काल के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष है एक मे हो मृत्यु तो परमगति हो दूजे मे प्राप्त जन्म, मृत्यु को शुक्ल पक्ष मे ब्रम्ह को प्राप्त हो कृष्ण पक्ष मे पुनः जन्म हो मृत्यु के दो काल कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे अर्जुन तु सभी काल मे समबुध्दि रूप योगमुक्त हो मेरी प्राप्ति के लिए साधना निरन्तर करने वाला हो योगी रहस्यो का उल्लंघन कर सनातन परमपद को प्राप्त हो बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - सप्तम् अध्याय

साँतवे अध्याय मे भगवान बोले ज्ञान महत्वपूर्ण कहूँ मैं पृथ्वी, अग्नि, वायु, जल आकाश, बुध्दि, अहंकार, मन आठ प्रकार की प्रकृति मेरी मनुष्य द्वारा धारण जो की चेतन, प्रकृति जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 प्रकाश हूँ मैं चाँद, सूरज मे जल मे रस व शब्द आकाश मे अग्नि मे तेज, पवित्र पृथ्वी मे जीवन हूँ सम्पूर्ण भूतो मे मैं बलवानो की आसक्ति कामना से रहित बल हूँ मैं हर जगह मे मुझको मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 देवी - देवता कोई भी हो प्रेम से भक्ति करता है जो वही भक्त अति उत्तम है मुझे अत्यंत प्रिय है वह भक्त चाहे जैसे भी भजे अन्त मे प्राप्त मुझको ही हो प्रेम जरूरी है जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - षष्टम अध्याय

छठे अध्याय मे भगवान बोले मित्र, शत्रु स्वयं मानव है मन, इन्द्रियाँ व जीत ले शरीर वही स्वयं का मित्र सच्चा है जो न जीत पाया है स्वयं को शत्रु स्वयं का वो बन गया है किसी और का ना योगदान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 मिट्टी, पत्थर, स्वर्ण समान है वह योगी युक्त भगवत्प्रास है योगी न हरदम जागने वाला है न हरदम वो भूखा रहता है ना ही ज्यादा ना ही कम सही मात्रा मे निंद्रा और भोजन वही सच्चा योगी जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले मन बडा चंचल वश मे करना अति है दुष्कर भगवान बोले माना मुश्किल है अभ्यास, वैराग्य से सफल होगा यह उसका प्राप्त होना है सहज प्रयत्नशील पुरूष द्वारा यह यह मेरा मत है मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे भगवन जिसका योग मे ना है मन उसका क्या होगा ये जहाँ मे किस गति को वह प्राप्त होता है भगवान बोले ना नर्क ना स्वर्ग उसका होता है मानव जन्म कर्म से जन्म हो जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार- पंचम अध्याय

पाँचवा अध्याय कह रहे अर्जुन उचित क्या है बताए ये भगवन कर्म सन्यास या कर्म योग हो मेरे लिए क्या श्रेष्ठ है ये कहो कहे भगवान ये दोनो है समान मुर्ख लोग इसे अलग रहे जान लिप्त कर्म न मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 स्वार्थ बिना जो कर्म करता है निःस्वार्थ मुझमे लिन रहता है जल से कमल मे पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नही होता है पाप, पुण्य हम ग्रहण ना करे परमेश्वर अर्जुन से कह रहे हर कर्म भुगतना ये जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 इन्द्रिया, मन और बुध्दि भी जीत लिया है जिसने वही ही इच्छा, भय और रहित क्रोध से वह तो सदा ही मुक्त हुआ है स्वार्थरहित , दयालु , प्रेमी शान्ति को प्राप्त हुआ वह ज्ञानी समाए ये मुझमे मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार- चतुर्थ अध्याय

चौथे अध्याय मे भगवान बोले तुझे सुनाऊँ योग पुरातन रहस्य है ये उत्तम जान लुप्त हो चुका इसका ज्ञान प्रिय सखा तु भक्त मेरा इसलिए ये तुझसे कहा गुप्त रहे ये ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 मैने रहस्य ये सूर्य से कहा सूर्य ने अपने पुत्र से कहा इसी प्रकार बढता ये ज्ञान किन्तु अभी लुप्त ये मान आप अभी जन्मे सूर्य पुराने बात नही ये अर्जुन माने जवाब रहे है मांग कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 तेरे मेरे जन्म है कितने याद मगर ये तुझको नही है मैं अजन्मा हूँ ये तू मान सभी जन्मो का है मुझे ज्ञान पाप बढा है जब भी धरती पर मैने जन्म लिया है वही पर सब समाए मुझमे जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

पेड

पेड है हम पेड है हम दुःखी दुःखी से पेड है हम इंसानो के शौक के कारण दुःखी दुःखी से पेड है हम ईश्वर के बनाए स्वर्ग को नर्क बनाया इंसान ने जीवन जीने का सबको मिला हक हक छीना इंसान ने पाप लगेगा दोष लगेगा इंसानो को रोज लगेगा संख्या ये करते हमारी कम जीवन होगा इनका कम इंसानो के शौक के कारण दुःखी दुःखी से पेड है हम प्रकृति हमारी धरोहर है और इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

गीता सार - तृतीय अध्याय

तीसरे अध्याय मे अर्जुन बोले भ्रमित भगवन मुझे न किजीए कहे आप एक निश्चित बात जिससे मेरा होगा कल्याण कर्म से यदि श्रेष्ठ है ज्ञान क्यो मुझे रहे कर्म मे डाल बताए मुझे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान बोले हे निष्पाप लोक मे दो निष्ठा है प्राप्त सांख्ययोगियो की ज्ञान है निष्ठा और योगियो की कर्म है निष्ठा मनुष्य का कर्म करना है निश्चित जो न करे वो निर्वाह नही सिध्द कर्म जरूरी ये जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले मानव जात क्यो कर रही है फिर यह पाप क्रोध से ज्ञान यह ढँका हुआ है जैसे आग मे धुँआ हुआ है इन्द्रिया वश मे इनके नही है बडा मनुष्य का घात यही है बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2