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दिसंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नववर्ष

तारीखे बदलती गयी समय बदलता गया, फिर सुख दुःख का पहिया चलाने नया साल आ गया, पुरानी बाते भूल भुलाकर आगे बढ़ना जीवन है, समृद्धि की राह का पहला कदम समर्पण है, हर रोज नई सिख के साथ आओ अगला कदम बढ़ाये, नए साल को हर साल से और अधिक सुंदर बनाये, यह नया साल आपके लिए खूब खुशियां लाये, आपको नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामना ये

गीता सार - अठारहवाँ अध्याय

अठारहवें अध्याय में अर्जुन बोले त्याग , संन्यास की बाते खोले भगवान् दे रहे है यह ज्ञान राजसी , सात्विक , तामसी का भी ज्ञान कर्म , त्याग , कर्ता और ज्ञान इनके भी तीन प्रकारों को जान बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 मैंने रहस्य ये तुझसे कहा तूने मन से इसे श्रवण किया रहस्य कहना जिससे भी तुम श्रवण करने का हो उसे मन बिन इच्छा वालो से न कहना मुझमे ही लीन हमेशा रहना मोह है छूटा तमाम कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 संजय ने इस ज्ञान को सुना रूप देखा है हजारो गुना स्मरण कर हर्षित हो रहे चित्त में महान आश्चर्य भी है कृष्ण , अर्जुन जहाँ स्थित है विजय वही पर प्राप्त होती है संजय का मत मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 गीता सार - समापन "अठारह अध्याय की गीता का ज्ञान सुना हमने अर्थ महान मन से समझे जो गीता को हो जीवन उसका निहाल 3"

गीता सार - सतरहवां अध्याय

सतरहवे अध्याय में भगवान् बोले राजसी , सात्विक , तामसी क्या है कहे कृष्ण ये श्रद्धा होती मनुष्य के स्वभाव से निर्मित तीन प्रकार की होती है ये राजसी , सात्विक तथा तामसी है तू मुझसे ये जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 सात्विक पुरुष देवो को पूजे यक्ष , राक्षसो को राजसी पूजे भुत , प्रेतो को पूजे तामस तीनो का भोजन होता है अलग सात्विक को प्रिय स्वस्थ भोजन कड़वे , खट्टे राजस का मन तामस का बासी जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 श्रद्धा से पूजे श्रद्धा से दे दान सत् कहलाता है श्रद्धा मन बिन श्रद्धा के जो कोई पूजे असत् होता है दान भी चाहे न वह इस लोक में लाभदायक है मरने पर भी कुछ नही है श्रद्धा का रखना दान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2

गीता सार - सोलहवाँ अध्याय

सोलहवे अध्याय में भगवान बोले मनुष्य दो सम्पदा का है पहली होती देवी सम्पदा दूजी आसुरी सम्पदा है भय ना कर तू ना घबरा देवी सम्पदा में तू हुआ कर्म मनुष्य के जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2 क्षमा, तेज शुद्धि बाहर की शत्रुभाव न होना जरूरी देवी सम्पदा के लक्षण है ये आसूरी के जाने क्या होते दम्भ , घमंड , क्रोध , अभिमान अज्ञान और कठोरता भी है स्वर्ग , नर्क का ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहाँ 2

हम लड़की है तो क्या हुआ

कुछ आस हमे भी होती है कुछ चाह हमे भी होती है हम लड़की है तो क्या हुआ परवाह हमे भी होती है कुछ हम भी करना चाहते है कुछ हम भी बनना चाहते है हम लड़की है तो क्या हुआ जीवन में संवरना चाहते है जब लक्ष्मीबाई जैसा है दम बुजदिल खुद को क्यों माने हम हम लड़की है तो क्या हुआ हमसे ही तो है हर जन्म हम बात पते की करते है हर राह पर आगे बढ़ते है हम लड़की है तो क्या हुआ खतरों से हम ना डरते है एक सोच नयी बनाएंगे हर राह में हमको पाएंगे हम लड़की है तो क्या हुआ साबित करके दिखाएंगे

नारी

जो हरपल सोचा करती है जो हरपल देखा करती है एक बात यही उसके मन में की क्यों वो इतना डरती है अपनों में ही सारी दुनिया उसने तो बस देखी थी सबको खुश करने में ही बस वो busy रहती थी कोई ऐसा आया जिसने उसको यु बर्बाद किया ख़ुशी से जीवन जीने का हक यु उससे छीन लिया उसको फर्क क्या पड़ता है सजा है इसकी कड़ी नही पर वो तो अब चेन से जीवन जी पाएगी नही लोगों के इन तानो ने उसको यु झकझोर दिया उसकी गलती ना थी फिर भी सबने यु मुँह फेर दिया कुछ लड़ी इन्साफ के खातिर कुछ ने जीना छोड़ दिया नारी की गाथा पर ना सरकार ने अब तक गौर किया लोगों की हमदर्दी को वो हरपल देखा करती है कब होगा सम्मान मेरा हरपल सोचा करती है वो हरपल सोचा करती है

विश्वास

जिसके होने से रंगीन है सुबह, जिसके होने से ठंडी है शाम, हर रिश्ते की डोर उसी के हाथ में, शब्द है ऐसा विश्वास उसका नाम

गीता सार - पंद्रहवाँ अध्याय

पंद्रहवे अध्याय में भगवान बोले पीपल संसार रूपी वृक्ष है वेद पत्ते जिसके कहे है देव , मनुष्य आदि शाखाएं ममता , वासनारूप है जड़े विचारकाल का वृक्ष नही ये आदि , न अंत है इसका जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर की माया का ज्ञान है मुश्किल कैसे परिवर्तन होता है आत्मा शुद्ध हो वह है ज्ञानी रहस्य वही जान पाता है अज्ञानी करे यत्न कितना ही आत्मा को जान नही पाता है हर तेज में मुझको जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे निष्पाप सुन ले हे अर्जुन मुझे जो जाने वो हे ज्ञानी जन हर प्रकार से हर रूप से मुझको भजता है उसका मन इस रहस्य को जो जान जाता शास्त्र मेरे द्वारा जो कहा वह हो जाता ज्ञानवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - चौदहवाँ अध्याय

चौदहवे अध्याय में भगवान बोले परम ज्ञान को फिर से कहूँ मैं जान जिससे हुए है मुक्त मुनिजन परम सिद्धि को प्राप्त हुए है प्रकृति सब जीवो की माता सब प्राणी , जीवो का पिता मैं माता, पिता भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर को बांधे जो तीन गुण ये सत्व , रजो व तमोगुण है सत्वगुण उत्पन्न ज्ञान हो रजोगुण से लोभ प्राप्त हो तमोगुण है मोह का दाता और अज्ञान भी प्राप्त है होता तीनो गुण को जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे भगवन किन लक्षण से ये तीन गुण सुन अर्जुन बोले भगवान इन लक्षणों को तू जान मुझको निरंतर जो भजता है इन गुणों को लांघ जाता है आश्रय मुझको जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

सुप्रभात्

शुरू हो गई ठंड शरीर कपकपाए, सूरज की गर्मी सुकुन सा दे जाए, जीवन मे खुशियाँ कुछ इस तरह आती रहे, की हर सुबह आपकी एक नई याद बन जाए। सुप्रभात्