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गीता सार - तेरहवाँ अध्याय

तेरहवे अध्याय मे भगवान बोले शरीर को क्षैत्र के नाम से कहे क्षैत्र को जो भी जान जाता है क्षैत्रज्ञ उसे कहा जाता है क्षैत्रज्ञ , क्षैत्र का दे रहे ज्ञान सभी समाए मुझमे जान देते भगवन ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 तत्व ज्ञान, अध्यात्म ज्ञान मे  देखना परमेश्वर को ज्ञान है इसके विपरीत जो भी होता है कहा एैसा वही अज्ञान है परब्रम्ह को सत् ना कहे ना ही असत् वो कहलाए जानने योग्य ये ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर मे स्थित परमात्मा पर ना ही लिप्त हो ना ही कुछ कर सूर्य जैसे प्रकाशित करता क्षैत्र को करे प्रकाशित आत्मा क्षैत्र , क्षैत्रज्ञ के भेद को जाने परब्रम्ह परमात्मा को पाए ले क्षैत्र, क्षैत्रज्ञ का ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार

"भारत के है ग्रंथ महान , उनकी भाषा निराली एक बार जो पढले कोई , जीवन की समझे कहानी उन ग्रंथो मे एक ग्रंथ है , गीता जिसका नाम कृष्ण वाणी से निकली गीता , जिसका अर्थ महान" कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान  सुन लो सारा जहान 2 अठारह अध्याय मे सिमटी गीता  समझे जो इसको जहान को जीता  अर्जुन को मिला ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान  सुन लो सारा जहान 2