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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गरिमामयी पद- प्रत्यक्ष गरिमा

आप किसी रॉकस्टार से कहो कि जनता के सामने साधारण कपड़ों में जाओ तो वह कहेगा नहीं, यह मेरी शान के खिलाफ है।      आप किसी शिक्षक से कहो कि बच्चों के सामने बंदरों जैसी हरकतें करो तो वह कहेगा नहीं, यह मेरी शान के खिलाफ है।       आप किसी नेता से कहो की जनता के सामने नाचे गाएँ तो वह कहेगा नही, यह मेरी शान के खिलाफ है।        आप किसी जोकर से कहो की सबके सामने गम्भीर रहो तो वह कहेगा नही, यह मेरी शान के खिलाफ है। इनके अतिरिक्त और भी कई ऐसे पद हैं जिनकी विशेष गरिमा होती है, जो प्रत्यक्ष होती है। हर कोई अपने पद की प्रत्यक्ष गरिमा को बनाए रखने के लिए कई बार अपनी इच्छाओं को मारता भी है क्योंकि वह अपने पद का सम्मान करता है और जो अपने पद का सम्मान नहीं करता उसे दूसरों से सम्मान नहीं मिलता है।           ठीक ऐसे ही एक और पद है जो सभी पदों से कहीं ऊपर है और वह है स्त्री पद। जिसकी भी कुछ प्रत्यक्ष गरिमा होती है जिसे वही बनाए रखती है जो अपने स्त्री होने पर गर्व करती है। क्योंकि हर कोई अपने पद की प्रत्यक्ष गरिमा को बनाए रखने के लिए मेहनत करता है तो यह कहना गलत नही की स्त्री को भी अपने पद की प्रत्यक्ष गरिमा

सोशल मिडिया का जादू

सोचा ना समझा ना जाना है, एक ने डाला है जाने क्या कुछ भी, सबने उसे ही सच माना है, इसे ही कहते सोशल मिडिया का जादू, हुए है सभी अपने आप में बेकाबू, याददाश्त सभी की हुई कमजोर, सोशल मीडिया जो एक बार कह दे, संध्या को ये भी कहेंगे भोर.....।

नाग पंचमी

शोभा हे महादेव की, नारायण की शान, फन उठाकर हर लेते पापियों के प्राण, नाग पंचमी पर हम आपको करते है नमन, कोरोना की और उठाओ अपने सारे फन....।

कोरोना का डर

बाहर से आए चाचा जी को  हो गया जुकाम, कोरोना तो नही रे बाबा मोहल्ले वाले परेशान, क्या करे अब हमको तो कुछ समझ नही आये, घर बुलाये डॉ को या अस्पताल ले जाये, अस्पताल ले जाये लेकिन  साथ में फिर कौन जाये? साथ में जाये और कही  कोरोना ना लग जाये, चाचाजी तो ओहो रे बाबा छींक छींककर हारे है, पड़ोसी बोले संयम रखो हम डॉ को बुला रे है, चाचाजी को समझ ना आये डॉ क्यूँ....? आ.....आ छू....., मुझको तो कुछ हुआ नही मैं तो बिलकुल ठीक ही हूँ, बोले मिस्टर तोषी जी अरे चाचाजी ना घबराओ, बाहर कहाँ से आये थे बता दो हमसे ना छुपाओ, देखो थोड़ी सी गलती से हम कंटेन्मेंट में आएंगे, आपके साथ साथ हम सब भी कोरोना मरीज बन जायेंगे, इतने में चाचीजी का भी अंदर से आना हुआ, छींक छींककर उनका भी तो हो रहा है हाल बुरा, घबराए पडोसी चाचा बोले हे भगवान एक और कोरोना, अब क्या होगा हम सब का? तू ही हमे बचा लेना, झल्लाकर चाचीजी बोले रे मूर्खो तुम्हे अक्ल नही, छोंक लगा है मिर्ची का गन्ध तुम्हे क्या आती नही? चश्मा मैने सुबह से आज जाने किधर को रख दिया, कम दिखता है इसी वजह से भूल से मिर्ची को छोंक दिया, ओ हो हो तो बात ये थी हाय मन का बोझ अब उतर गय

ईश्वर का पैगाम, भक्तों के नाम

कौन हूँ मैं? कहने को तो आप लोगो का भगवान हूँ पर क्या मैं वास्तव में भगवान हूँ? भगवान कौन होते है? इस पूरी सृष्टि के रचयिता, आप के रचयिता। पर क्या आप इस बात को गम्भीरता से लेते हो? आपकी हर समस्या को लेकर आप (सभी भारतवासी) हमारे पास आते हो समस्या हल मिला तो पूजोगे वरना कभी नही पूछोगे। कुछ मनुष्य कहते है भारत में इतनी पूजा पाठ होती है फिर भी भारत आगे क्यों नही बढ़ता? विदेशी पूजा पाठ नही करते फिर भी सुखी दिखाई देते है। ये सत्य है कि भारतीय पूजा पाठ में अग्रणी है किंतु उतने ही अग्रणी भारत के मनुष्य हमारा अपमान करने में है यह भी एक सत्य है। हम तो आपकी श्रद्धा की आस लगाते है और आप हमें लालची जानकर कभी रूपये तो कभी किसी अन्य वस्तु का लोभ दिखाते है। आज का समय है जब भारत में हमारी पूजा कम अपितु हमारा अपमान अधिक होता है। अरे हम तो कण कण में है ही किन्तु आप यह जानने के बजाय हमे कण कण में दिखाने की कोशिश करते हो और हमारा अपमान करते हो। स्पष्ट रूप से कहते है हमारा तात्पर्य क्या है? कुछ दिनों पूर्व हम धरतीलोक भृमण पर आये थे। वैसे तो हमे परिस्थितियां ज्ञात थी किन्तु अब जब हमने स्वयं आकर महसूस की तो मन

महादेव पर दूध

*महादेव पर दूध, जल चढ़ाने के खिलाफ पटर - पटर बोलने वालों जरा सुनो ना...।*  बड़ी बड़ी होटलों में खाने का दुगना पैसा देने के बजाय घर का खाना खाकर उन पैसों से गरीबों को भोजन कराओ ना......।  बेफिजूल गाड़ी दौड़ाने की बजाय कभी पैदल चलकर तो कभी बस में सफर कर पेट्रोल के पैसे बचाओ और गरीब बच्चों को खिलौने दिलाओ ना....। सिनेमा में बार-बार जाने के बजाय कभी तो वृद्ध आश्रम या अनाथ आश्रम हो आओ ना....। अपनी महंगी जरूरतों से पैसे बचाकर एक ही सही पर प्रतिभाशाली गरीब बच्चे को पढ़ाओ ना....।  और अगर यह सब करने की हिम्मत नहीं तो अपनी जुबान पर लगाम लगाओ ना....।  धर्म के खिलाफ तो मुंह उठाकर आ जाते हो कभी झूठे दावे करने वाली कंपनियों के खिलाफ बोल कर दिखाओ ना....।  जिन महादेव को तुम काला पत्थर कहते हो उन्हीं के मंदिर में जब भंडारा होता है ना तो गरीब अमीरों के साथ बैठ कर खाते हैं जो यदि किसी दुकान, हॉटल, मॉल या सिनेमा के बाहर भी दिख जाए तो धुत्कार कर भगा दिए जाते हैं। हम महादेव पर दूध चढाने में मानते हैं तो मंदिर के बाहर बैठे गरीब को कुछ ना कुछ देना भी जानते हैं।  भोजन में भी जीवन है, जल में भी जीवन है लेकिन सा

संस्मरण- तुम बहु हो

कुछ दिनों पहले की बात है घर में तैयारी चल रही थी..। किस त्यौहार की? नही नही त्यौहार की नही दरअसल रिश्ते के लिए लड़के वाले आने वाले थे। तो बात अब ये थी की मुझे क्या-क्या पहनना है? कौनसा सूट? कौन सी ज्वेलरी? इसी पर बात चल रही थी। तब काफी देख परख के बाद एक सूट तय हुआ। अब बारी आई गहनों की..... तब भाभी बोले दीदी आपकी बालियाँ(सोने की) बहुत छोटी है लड़के वालों के सामने थोड़ा वट पड़ना चाहिए। आप ऐसा करो आप मेरे टाप्स पहन लो मैं आपके या फिर कोई खोटे पहन लुंगी....... तभी माँ ने बिच में ही टोकते हुए कहा- *नही तुम बहु हो*  बेटी सोना पहने या ना पहने पर तुम घर की लक्ष्मी हो तुम्हे अपने गहने नही उतारने है...। माँ के इन शब्दों को सुनकर हर किसी के चेहरे पर एक भावपूर्ण मुस्कान आ गयी...। ☺️