हिंदी के कुछ स्तम्भ, जिनमे एक थे मुंशीजी और एक है हम
मुंशी प्रेमचंद जी के नाम से ही कितने किस्से ताजा हो जाते है, यादो की गाड़ी पलट जाती और हम अपने विद्यालय पहुँच जाते है, हिंदी साहित्य जिनके लेखन से भरा है, इनका नाम तो बड़ा है ही पर इनका व्यक्तित्व भी गहरा है, पूस की रात, बूढी दादी, गौदान जैसी सामाजिक घटनाओं का किया चिंतन, कई श्रेष्ठ रचनाएँ रची जिनमे मुख्य है पंच परमेश्वर, मंत्र, नशा और गबन, ऐसे लेखकों की महानता व हमारे जीवन में हिंदी साहित्य का व हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद जी का महत्च हमे तब कहा समझ आता था, तब तो बस कुछ रचनाएं सामान्य सा जीवन परिचय और हिंदी साहित्य में लेखकों का थोड़ा योगदान समझकर बस एक रट्टा लगाना होता था, बस किसी तरह थोड़ा बहुत लिखकर पास हो जाये, और परीक्षा होते ही सब कुछ भूल जाये, ये तो हुई हमारी पीढ़ी की बात, पर हमसे पहले की पीढ़ियों को होता था काफी कुछ याद, फिर बात करे उससे पहले की पीढ़ी की तो उन्होंने तो हिंदी साहित्य में जी जान लगाकर दी हिंदी साहित्य को सम्मान भरी सौगात, कहने का तात्पर्य यह है कि हम पीढ़ी दर पीढ़ी घटते चले आ रहे है, अपनी मातृभाषा का साहित्य रटते चले आ रहे है, और अब