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अतिक्रमण का भय

जोरदार है दृश्य यहाँ का आँखों देखा सुनाती हूँ, अतिक्रमण का भय देखकर मन ही मन मुस्काती हूँ, कितनी चिल्लम चिल्ली यहाँ है भोर हुई सब काम लगे, अतिक्रमण में आते पतरे घुमटी भी खुद ही उखाड़ रहे, कोई यहाँ से चिल्लाता है कोई वहाँ पर भाग रहा, जल्दी करो रे आ ही रहे है लेकर वो जे सी बी यहाँ, मंदिर में मैं बैठी बैठी आनन्द से सब देख रही, आज दिखा जो भय वो जरूरी मन ही मन में सोच रही, करते है सब कोशिश यहाँ थोड़ा ही सही पर कुछ तो बचे, फर्जीवाड़े दिल के अरमाँ आँसुओ में बह रहे, मंदिर में दर्शन को आते फोन पर चिल्लाते है, जल्दी कर तू दर्शन करके हम भी फटाफट आते है, लोगो की परेशानी पर यु हास्य बनाना ठीक नही, लेकिन ख़ुशी इस बात की है की बेईमानी सब झटक रही, आज होंगे परेशान तभी तो कल को सुधरेंगे, खुद ने किया या पूर्वजो ने बेईमानी तो भुगतेंगे, इसलिए तो कहते है कि बेईमानी अटकाती है, एक न एकदिन बिच भँवर में तुमको वो लटकाती है, सम्भल जाओ तुम सुधर ही जाना बेईमानी को छोड़ दो, अतिक्रमण हो जब तुम्हारे यहाँ तो अपने ईमान पर फक्र करो, जो आज नही तुम अतिक्रमण में इसे ईमान का फल समझो और दृ