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कौन सूखी, कौन दु:खी

खुद तो कभी सुधर ना सके पर बात करे जमाने की, औरो के सपने जो छिने बात करे अरमानो की, ख्वाबो की दुनिया भी देखो कितनो की है उजड गयी, खुशियाँ द्वारे कितनो के आते आते लौट गयी, उनकी दुनिया अलग ही होती कोई दखल ना देता है, कोई ना चाहे देखना जाने वह कैसे सोता है, चेहरे उनके देख के देखो जिनके तन पर कपडे नही, पर चेहरे पर ढुंढ के देखो दिखती है क्या सिकंज कही, दुख को कैसे खुशी बनाए तरकीब खूब ये आती है, पर तुम्हारी खुशियाँ कैसी चिंता साथ में लाती है, एैसे मे मैं समझ ना पाऊँ कौन सुखी और दु:खी है कौन, जिसने दु:ख को खुशी बनाया या जिसने चिंता का लिया है लोन, पर अमीरो सा पैसा है ईश्वर देना चाहे ना देना, पर हो दिल गरीबो सा इतना उपकार दिखा देना, दया , करूणा , अपनापन इंसान के गुण होते है यही, और कुछ मैं बनूँ ना बनूँ अच्छा इंसान बना देना ।

समय

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है, जीवन खुशहाल होता नही बनाना पडता है। सपने बुनो कम और कोशिश करो ज्यादा, क्योकि समय कभी किसी का इन्तजार नही करता है।

गीता सार - तेरहवॉ अध्याय

तेरहवे अध्याय मे भगवान बोले शरीर को क्षैत्र के नाम से कहे क्षैत्र को जो भी जान जाता है क्षैत्रज्ञ उसे कहा जाता है क्षैत्रज्ञ , क्षैत्र का दे रहे ज्ञान सभी समाए मुझमे जान देते भगवन ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 तत्व ज्ञान, अध्यात्म ज्ञान मे देखना परमेश्वर को ज्ञान है इसके विपरीत जो भी होता है कहा एैसा वही अज्ञान है परब्रम्ह को सत् ना कहे ना ही असत् वो कहलाए जानने योग्य ये ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 शरीर मे स्थित परमात्मा पर ना ही लिप्त हो ना ही कुछ कर सूर्य जैसे प्रकाशित करता क्षैत्र को करे प्रकाशित आत्मा क्षैत्र , क्षैत्रज्ञ के भेद को जाने परब्रम्ह परमात्मा को पाए ले क्षैत्र, क्षैत्रज्ञ का ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - बारहवॉ अध्याय

बारहवे अध्याय मे अर्जुन बोले दो उपासको मे श्रेष्ठ कौन है भजन ध्यान मे लगे रहकर परमेश्वर को जो भजता है या निराकार ब्रम्ह को ही अतिश्रेष्ठ भाव से भजते है श्रेष्ठ का दीजीए ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान बोले मुझे भजे जो मुझको योगियो मे उत्तम है वो परन्तु ब्रम्ह को जो भजता है वो भी मुझे प्राप्त होता है यदि भजने मे असमर्थ है फल का त्याग करना भी श्रेष्ठ है भक्ति का दे ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 दयालु , क्षमावान , और संतुष्ट चतुर , पक्षपात से जो रहा छुट शरीर को वश मे जिसने भी किया वह भक्त अतिप्रिय मुझको है हुआ धर्म को निष्काम प्रेम भाव से अपनाए वो मुझे प्रिय है बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - ग्यारहवॉ अध्याय

ग्यारहवे अध्याय मे अर्जुन बोले विराट रूप को देखना चाहूँ मैं सुन है पार्थ भगवान बोले मेरे रूप को देख ना सके दिव्य चक्षु तुझे देता हूँ ईश्वरी योगशक्ति को देखे संजय भी करे बखान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे विष्णु रूप को देख व्याकुल मैं हूँ भयभीत होकर देख रहा हूँ धीरज अपना खो रहा हूँ प्रवृत्ति आपकी नही जानता मैं विशेष रूप से जानना चाहता हूँ प्रसन्न हो भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान बोले सुन अर्जुन नाश होना भी है तुझ बिन इसलिए तू आगे बढ नाश कर इनका युध्द कर अर्जुन बोले हे यादव चतुर्भुज रूप आप दिखलाओ भयभीत खुद को जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे अर्जुन भगवान बोले रूप चतुर्भुज तू देखे स्थिर हो गया है अब चित्त शांत मन से अर्जुन बोले कहे भगवान ये रूप मेरा दर्शन करना दुर्लभ है बडा सब समाए मुझमे जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2