अपना कुक्षी
आज दिनांक २८ मई सन है २०२०, दुकान खुलने की छूट मिली जब मिली क़ुक्षी को जीत, कोरोना से जंग छिड़ी थी लेकिन कुक्षी जीत गया, संयम रखना, स्थिर रहना हमारा कुक्षी सीख गया, जो सड़कें थी अब तक मौन थोड़ी थोड़ी चहक रही, पर धड़ल्ले से भागना नही मिली है छूट जो कीमती बड़ी, हँसते और मुस्कुराते से चेहरे बाहर दिखते है, भाव को समझो तो क्या हुआ? जो मास्क के पीछे छिपते है, कहते है कुछ लोग ये लॉक डाउन इतना भी था बुरा नही, दिनचर्या भी सुधर रही और जीवन की कई सीख मिली, झटका-झटकी शुरू हुई दुकानें थी जो अब तक बन्द, संयम रखो जरूरी है जो अभी रहे सब धंधे मंद, खुल रही दुकानें लेकिन सुरक्षा करना पूरी है, लेन-देन तो होगा लेकिन दुरी बहुत जरूरी है, अशांत था मस्तिष्क आपका बाहर आकर शांत हुआ, लेकिन यह भूलना नही कोरोना से देश अभी बंधा हुआ, व्यर्थ में पैसा बहाना नही तुम खर्चो जितनी जरूरत हो, यह बात बस अभी नही जीवन भर खुद को समझाते रहो, *सम्भलकर रहना, सुरक्षित रहना* *यही देती हूँ शुभकामनाएँ* *ईश्वर से विनती है यही* *कुक्षी में अब कोई केस ना आये* *और सारी दुनिया कोरोना से* *जल्द से जल्द मुक्त हो जाये* *नूतन पू.त्रि.*