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नेताजी - सुभाष चंद्र बोस

आजादी को हम हर पल हर सांस में जिये जाते है, आजादी के दिन को हम अवकाश की तरह बिताते है, नही जानते कितनी कुर्बानी पर मिली ये आजादी, पढ़कर जोश भरा पल भर का की कैसे लड़े थे नेताजी, आजादी के लिए उन्होंने खून की कीमत मांगी थी, जय हिंद से भरा जोश लाखो ने जान लगा दी थी, शहीदों के देह पर खड़ी  इस आजादी को यू बर्बाद ना कीजिये, नेताजी की याद को रात गयी बात गयी कि तरह यू भुला ना दीजिए, आजादी का महत्व समझकर उनके संकल्प को देना है मान, उनकी मृत्यु एक रहस्य है अब तक शायद आजादी का बाकी है काम....।

बच्चों का विज्ञान- संस्मरण

हमने विज्ञान की मोटी मोटी किताबे पढ़ी होंगी.....लेकिन बच्चों का जो विज्ञान होता है वो अलग ही दिशा में चलता है जिसका ना अर्थ होता है और ना तर्क, लेकिन हां उसे व्यर्थ नही कह सकते.....। एक बार की बात है मैं मेरी भतीजी चकोर से जो कि 5 साल की है वीडियो कॉल पर बात कर रही थी। वही पास उसकी एक सहेली भी बैठी थी वो दोनो गेंद से खेल रहे थे। हम बात कर रहे थे की खेलते-खेलते चकोर की सहेली बोली, यार चकोर मैं गेंद को ऊपर उछालती हूँ ये वहाँ रूक क्यो नही जाती वापस नीचे कैसे आ जाती है?? उसकी बात सुनकर मैं विचार कर ही रही थी कि इतने छोटे बच्चों को गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार समझाया जाए???? तभी चकोर बोली अरे पागल ऊपर कोई पकड़ने वाला नही होता ना इसीलिए गेंद वापस नीचे आ जाती है......। मैने कहा वाह!! मतलब बच्चों को अपने सवालों के जवाब आप ही ढूंढना आता है। मैने समझा बच्चों के दिमाग को जब तक बचपना है तब तक तो किसी विज्ञान की जरूरत नही है क्योंकि वो किसी का विज्ञान समझ नही सकते और ना कोई बच्चों का विज्ञान समझ सकता है।

वाह क्या मौसम है

वाह क्या मौसम है, बारिश के बाद हवाओ की जो सनसन है, कोहरा दिखता घना घना, जिसके बीच से हल्का सा उजाला छना, मन करता है इस नजारे को रोक लूँ, बेमौसम का मौसम है बीमार करेगा कहते है सब, पर मन को मोहने वाले  इस मौसम के बारे में ऐसा कैसे सोच लूँ? इस मौसम का आनंद लेने को छत पर जाने से खुद को कैसे रोक लूँ???? कैसे कैद करू इस मौसम की याद सोच रही थी? तभी ख्याल आया क्यो ना कुछ लिख लूँ....।