हर घर तिरंगा
आज जब निकले घर से बाहर गली गली में तिरंगा था, हर एक घर हर कोना भैया तीन रंगों से रंगा था, शान तिरंगे की जब भी देखु गर्व से मन फूल जाता है, लगा था बन गए देशभक्त सब मन में विश्वास न आता है, कुछ देर ये भ्रम रहा फिर पल में चकनाचूर हुआ, सेल्फी हुई अपलोड और ध्यान तिरंगे से दूर हुआ, कही हवा में लहराता पर कही कही तो झुक रहा, कही है उलझा तारो में तो कही उल्टा लटक रहा, अभियान का मकसद क्या इसका मुझको भान नही, हर घर मे हो तिरंगा पर इस तरह अपमान नही, जनता में देशप्रेम जगाना इतना भी आसान नही, भीड़ में चलने वालों के मन मे तिरंगे का सम्मान नही, जो आधे दिन के बाद ही तिरंगे को भूल जाये, राष्ट्रीय त्यौहारों के बाद जब तिरंगा सड़को पर पाए, साल में दो दिन प्रेम दिखाए बाकी दिन देश को खाते है, देश को धोखा देकर क्यो??? तिरंगे को लहराते है, अभियान का विरोध करना यह मेरा मकसद नही, कहने का अर्थ बस इतना है तिरंगे की गरिमा पर हो चोट नही....।