संदेश

फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंधेरी रात

अंधेरी है रात माहौल है शांत सन्नाटा चारो और छाया है, कुत्ते के रोने की आवाज से मन बड़ा घबराया है, बत्ती है गुल चल रही है हवा तेज उड़ रही है धूल, शांति है या सन्नाटा जो भी हो लगता है मौसम बड़ा डरावना, ऐसे में घर के बाहर खड़ी हूँ मैं अकेली, डरने की बात क्या? साथ है साथ देने को मेरी कलम मेरी सहेली...।

ये कैसी बीमारी है? - संस्मरण

आजकल अजीब तरह की बीमारियां होती है, जिससे हमारे शरीर मे होने वाले छोटे से बदलाव से भी हम घबरा जाते है। ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ...... एक दिन ऐसे ही मैं बैठी थी। तभी अचानक मेरी नजर मेरे नाखूनों पर गयी। मैंने देखा वो थोड़े मैले से हो रहे है। मैं घबरा गई मैंने सोचा अरे ! ये क्या? ये मेरे नाखूनों को क्या हो गया है? मुझे इतना तो पता था कि नाखून का मैला होना किसी बीमारी का संकेत है। लेकिन कौन सी?  बस फिर क्या था काम से फुर्सत मिलते ही मैंने गूगल पर खोजना शुरू कर दिया......। हे भगवान! ये क्या ???? अरे! ये मुझे क्या हो गया????? इतनी सारी बीमारी; लेकिन मुझे इनमें से कौन सी हुई है?? इन बीमारियों के लक्षण; ये, हाँ ये तो मुझे हो रहा है, हाँ ये भी तो हो रहा है, अरे! ये भी तो हो रहा है। हे भगवान! क्या करूँ? किसी को बताऊँ या नही ?? ओह्ह ! कुछ समझ नही आ रहा क्या करूँ?? ऐसा करती हूँ अभी शुरुआत है तो पहले घरेलू उपाय करके देखती हूँ शायद इससे ठीक हो जाये और किसी को बताना भी ना पड़े। फिर 2 दिन घरेलू उपाय कर मैंने फिर नाखून देखे। अरे! ये तो अब भी वैसे ही है। हे भगवान! क्या करूँ? सबको बता दूँ और डॉ को दिखा दूँ।

डर

डर,  जैसे निभानी कोई रीत है, डर, जिससे हो जाती प्रीत है, डर, जिसके साये से भी डर लगता है, तभी तो वो हर कदम पर साथ चलता है, डर, जिससे रिश्ता ना कोई गहरा है, डर, जिसका फिर भी हम पर पहरा है, डर, ना चाहो तब भी आता है, डर, क्यो अपनापन निभाता है? डर, हर मजबूती खाता है, डर, जो भुक्कड़ कहलाता है, डर, ना हो तो सुकून है, लेकिन डर, खिंच लेता जहन्नुम में...।

पापा की परी

पिता का साथ हर  चिंता का समाधान है,  मन मे ना कोई डर  लगे कदमो में जहान है,  हर समस्या  पिता को कहते ही सुलझती है,  बेटियां तभी सुंदर लगती है जब  पापा की परी के नाम से सजती है.....।