अंधेरी रात
अंधेरी है रात माहौल है शांत सन्नाटा चारो और छाया है, कुत्ते के रोने की आवाज से मन बड़ा घबराया है, बत्ती है गुल चल रही है हवा तेज उड़ रही है धूल, शांति है या सन्नाटा जो भी हो लगता है मौसम बड़ा डरावना, ऐसे में घर के बाहर खड़ी हूँ मैं अकेली, डरने की बात क्या? साथ है साथ देने को मेरी कलम मेरी सहेली...।