47 की उस रात का करो महसूस वो स्वर्णिम पल वन्दे मातरम् से गूंजा भारत सड़को पर तब थी हलचल दुःखो के बादल छट रहे थे आँखों में थे सुकून के पल बदला बदला होगा सूरज नए प्रकाश की थी पहल मन बोल रहा अलग सी भाषा 200 साल जो बोली ना भारत माँ की बेडी टूटी सांस ले रहा तिरंगा उन पलो को सोच सोचकर मन हर्षित है सबका आज जब भारत माँ के सर पर था आजादी का सुनहरा ताज इन आजादी के पलो को फिर से अब ना खोना है तन से तो भारत के है पर मन से भी अब होना है सभी को स्वतंत्रता दिवस ढेर सारी बधाईयाँ