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गीता सार - नवम् अध्याय

नवमे अध्याय में भगवान बोले ज्ञान - विज्ञान फिर से कहूँ मैं ज्ञान - विज्ञान यह विद्या का राजा पवित्र, उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला श्रृध्दारहित प्राप्त न हो मुझे संसारचक्र मे भ्रमण करते वे भक्त है मेरा मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 क्रतु मैं हूँ, स्वधा भी मैं हूँ यज्ञ मैं हूँ , औषधी भी मैं हूँ मन्त्र मैं हूँ , अग्नि भी मैं हूँ घृत मैं हूँ , क्रीया भी मैं हूँ इस सम्पूर्ण जगत का दाता माता , पिता व पितामह मैं हूँ सब वेदो मे मुझको जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 देवो को पूजे प्राप्त देवो को पितरो को पूजे प्राप्त पितरो को भूतो को पूजे प्राप्त भूतो को मुझे जो पूजे प्राप्त मुझमे हो प्रेम से फल , फूल जो चढाएँ प्रीतिसहित उसे ग्रहण करूँ मैं अर्पण कर सारा दान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

ईश्वर....5

ईश्वर अपने साथ है ना कर कोई चिंता ईश्वर की भक्ति करने से बिगडा काम भी बनता स्वस्थ्य जीवन देने का धन्यवाद हम करते है भक्ति है जब साथ हमारे मुश्किल से ना डरते है

ईश्वर....4

घोर कलयुग की शुरूआत लगता है अब हो गई ईश्वर की धरती पर आज जरूरत अब पडने लगी सहन करो अभी तो है कलयुग का पहला चरण क्या होगा जब आएगा कलयुगी चौथा चरण

ईश्वर ...3

मंदिर बने , मस्जिद बने, कई बने गुरूद्वारे पर आज कहाँ किसी के घर मे प्रभु पधारे कलयुग की भक्ति का तो रूप अलग ही हो गया भक्ति मे इंसान नही दिखावे मे ही खो गया

ईश्वर ...2

एक बार तो भक्ति मे तुम भी डूब कर देखो मीरा, सूरदास जैसे कई भक्त बने है लाखो ईश्वर की भक्ति मे उन्होने कुछ तो पाया होगा तभी तो दु:ख को दु:ख से नही हँसते-हँसते भोगा

ईश्वर ..1

इस शातिर दुनिया मे अपना कौन है कौन पराया जब भी मुश्किल आई तब ईश्वर ने हाथ बढाया ईश्वर की लीला को समझे हम इतने काबिल नही हमारा ही होता भला उनकी लीलाओ मे कहीं

ईश्वर

आओ चलो हम जग मे देखे सुन्दर सुन्दर नजारे फूल चमन मे खिलते है और पंछी गाना गा रहे मन को भाए इस रचना को देख कर एैसा लगता है कैसे होंगे प्रभु हमारे जब जग इतना सुन्दर है