सरकार...लायक या नालायक?
*सरकार...लायक या नालायक?* सरकार नहीं तुम लायक हो तुम तो पूरी नालायक हो, देश से तुम्हें फर्क ही क्या तुम एक जाति की सहायक हो, बस एक जाती को बढ़ाना है उतना ही तुम्हारा मकसद, फिर हो चाहे घाटे का सौदा लगे कितनी ही कीमत, तुम 40% वालों को थमा देते हो हर पद, और 90% वालों को नहीं समझते बेहतर, मरीजों की तुम जान थमा दो उन लोगों के हाथ जिन्हें जान बचाना आता नहीं बस चाहे डॉ के ठाट, बच्चों के तुम भविष्य से खेलो करते ऐसी हरकत, जो खुद शिक्षा में पीछे रहे वो बने सरकारी शिक्षक, जनता की सुरक्षा भी तो तुम्हारे कर्तव्य में नही आती, जो खुद लड़कर ना जीत सके उन्हें मिलती वर्दी खाकी, हम यह नहीं कहते कि आगे बस हम ही बढ़ते जाए पर देश का हो नुकसान भला हम कैसे सहते जाए? कोई करता इच्छा जाहिर की हमे बनना कलेक्टर, डॉक्टर, हां बेटा तुम बन जाओ कह देते सर सहलाकर, मजाक है क्या देश कोई जो उसकी इज्जत से खेल रहे, प्रतिभाशाली होते हुए भी पिछड़ा उसे बना रहे, बढ़ाना है जनजाति को तो चलना उन्हें सिखाओ, ना कि उठाकर गोद में दोड़ो, पंगु उन्हें बनाओ, बजाय इसके इतना करते तुम सबको बराबर लाते, जिसकी प्रतिभा जिस क्षेत्र में हो उ