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दोस्ती

मेरे दोस्त भी कमाल करते है छोटी छोटी बातों पर धमाल करते है पर जो भी हो ये मन जानता है दोस्तों की मौजूदगी को अपनी जान मानता है दोस्तों के बगैर ये जिंदगी अधूरी है पागल, शैतान जैसे भी हो उनकी दोस्ती जरूरी है बेचैन मन का सुकून तुरन्त लौट आता है फोन पर ही सही पर दोस्ती का माहौल बिछ जाता है अपने दोस्तों को दिल से चाहती हूँ कहना की उनकी दोस्ती है मेरे जीवन का अनमोल गहना

परिवार

मेरे परिवार की बाते भी कमाल है हम सब साथ मिलकर करते खूब धमाल है ठीक है थोड़ी अनबन, नोक-झोंक तो रिश्तों का फसाना है रिश्तों की ताकत ही तो रूठना और मनाना है पर बात कहुँ मैं खरी की दिल में प्यार तो अब भी गहरा है मेरे परिवार के साथ से ही मेरा जीवन सुनहरा है यही प्यार कायम रखु और रिश्तों से जुड़ती जाऊं परिवार के दिल में अपनी और जगह गहरी बनाऊँ प्यार दिलो में कम ना हो हे ईश्वर इतनी कृपा रखना एहसास बने और भी गहरे छूटे ना कोई अपना

हिंदी

हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी तुम्हे पुकारूँ मैं कहाँ छुपी हो नजर ना आती आज दिवस तो है तुम्हारा क्यों ना हँसती खिलखिलाती सामने आओ पूजा करूँ मैं और आरती उतारू मैं हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी तुम्हे पुकारूँ मैं तुम तो सभ्यता की मूरत स्वच्छ सजीली तुम्हारी सूरत विवेकानन्दजी का ज्ञान हो तुम भारत का सम्मान हो तुम वट पड़ता बतियाने में गर्व से उठता सर हमारा हिंदी सुनने और सुनाने में फिर तुम क्यों शर्माती हो सामने क्यों ना आती हो छुपते छुपते खो ना जाना मन ही मन घबराऊँ मैं हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी तुम्हे बुलाऊँ मैं स्कूल, कॉलेज और भी कितनी सारी किताबे टटोली मधुर लेकिन दबी हुई सी हिंदी कही से बोली कैसे आऊँ सामने मेरे सर पर बोझ बड़ा है अंग्रेजी का बड़ा सा ढेर सामने मेरे खड़ा है याद नही आती है किसी को क्यों फिर मैं इतराउँ अपनों से ही अपमान मिले तो सामने क्यों फिर आऊँ बात कड़क पर अटल सत्य है मूर्खता तो झलकती है अपनी भाषा छोड़ कर गेरो पर लार टपकती है अपनी शान छोड़कर गैरो की पूंछ पकड़ना शर्मनाक है दुसरो की भाषा में यूँ अकड़ना पर हिंदी हम हिंदी बच्चे गर्व से हम

महिला का उपवास

अजी तुम भी हमे कितना चिढ़ाते हो उपवास के दिन चटकारे लेकर खाते हो ऐसे तो जब भी धास लगती है चिढ़कर तुम्हारी नाक चटकती है एक छिक भी तुम्हे ना सुआति है खास खास कर आँख भर आती है पर मेरे उपवास के दिन धास को भी सुगंध बताते हो अजी तुम भी हमे कितना चिढ़ाते हो उपवास के दिन चटकारे लेकर खाते हो देखो प्यार में तो मेरे ना कोई झोल है पर मेरी भावना का तुम्हारी नजरो में कोई मोल है? भूख से मेरी जान निकल जाती है करेले की खुशबु भी नाक को भा जाती है और तुम हो की खाते समय मुझे पास में बैठाते हो अजी तुम भी हमे कितना चिढ़ाते हो उपवास के दिन चटकारे लेकर खाते हो यु तो तारीफों को मेरे कान तरसते है पर उपवास के दिन ये बादल जरूर बरसते है खाने में अचानक चटक आ जाती है नापसन्द सब्जी भी तुमको भा जाती है अचार, मुरब्बे की सुगंध बढ़ाते हो अजी तुम भी हमे कितना चिढ़ाते हो उपवास के दिन चटकारे लेकर खाते हो

डॉक्टर का जीवन

डॉ का जीवन एक त्याग है, समर्पण है, व्यस्तता से भरा हुआ डॉ का जीवन है, कहने को तो डॉ भी होते इंसान है, लेकिन वो धरती पर दूसरे भगवान है, समय का मूल्य, खजाने के तुल्य, इसका करते दान, वो व्यक्तित्व महान, मानवता की सेवा करते हर मानव समान ऐसे सेवक डॉ का दिल से सम्मान

रक्षाबन्धन

आज राखी का त्यौहार है, जो डोर नही सत्कार है, सहज कर रखना इस रिश्ते को, ये बेशकीमती भाई बहन का प्यार है। रक्षाबन्धन की ढेर सारी बधाईयाँ

कारगील

आज दिवस है विजय तिलक का गर्व करो सम्मान करो देश के खातिर शहीद हुए जो अपने परिवार को छोड़ देश के खातिर विजय युद्ध में अपनी जान गवां गये वो उनके खातिर हर एक पल में अपने दिल, दिल की धड़कन में भारत माँ का सम्मान करो कितनी माँ की गोद छूटी कितनी सुहागनों की अपने देश की शान बचाने में हाथों की चूड़ियां टूटी कितनी बहने रह गयी भाई के इन्तजार में सम्मान की हकदार है वो जो देश की आन बचाने को अपनी राखी वार दे विनती है सभी से इतनी भारत माँ को मान दो हमारे खातिर शहीद हुए जो उनको तुम सम्मान दो कारगील विजय दिवस की ढेर सारी बधाई

दरिंदे

क्या हो तुम..... कैसे हो तुम? तेरे फैसलो को यूँ कुचल रहे है देख देख ये वहशी दरिंदे तेरे वजूद से खेल रहे है एक बनाया नियम तूने बलात्कारी को फांसी सजा फिर भी कहाँ ये दरिंदगी का सिलसिला है रुक रहा दरिंदो को तो डर नही पर हैवानियत वो झेल रहे है देख देख ये वहशी दरिंदे तेरे वजूद से खेल रहे है हर रोज एक घटना नई तुझपर ऊँगली उठाती है दरिंदो की ऐसी ललकार तेरे क्रोध को ना भड़काती है? उनके गंदे विचारों को तेरे देश के माँ बाप झेल रहे है देख देख ये वहशी दरिंदे तेरे वजूद से खेल रहे है सोच रहे हो हर एक शब्द किसे दोषी ठहरा रहा सोच कर देखो तीर कही ये तुम पर तो ना आ रहा हर एक जन वो दोषी है जो अश्लीलता भड़काता है हर एक जन वो दोषी है जो उसमे डूबा जाता है दोषी को तो आज या कल फांसी हो ही जायेगी पर कैसे ये अश्लीलता की गन्दगी दूर जायेगी???? आजादी की बात करो तुम लो आजादी मिल ही गयी अश्लीलता की कली कली इन घटनाओं से खिल गयी रोक लगा लो अब भी समय है गलत सोच के जरियो पर क्योकि मन तो वही करेगा जैसा देखेगी नजर युवाओं को बददिमाग कर उनके जरिये फैल रहे है देख देख ये वहशी दरिंदे तेर

एक बात

आज अचानक आई है मन में मेरे एक बात बहुत बुरा हुआ जो हुआ उन बच्चियों के साथ लेकिन बात ये है कि जब में रोज खोलती हूँ अख़बार एक खबर तो होती है कि यहां हुआ है बलात्कार फिर आक्रोश क्यों आया है इन दो ही घटना में? फिर समझ आया की इनमे कोई नही अपना है बात तो ये थी की सबको चाहिए था एक मौका कैसे किसी धर्म, पार्टी पर जाये लगाया चौका वाकई जो कुछ दर्द है तो हर पापी की बात करो उनके दर्द में आकर अपना उल्लू सीधा ना करो बाकि बच्चियां सोचती होंगी उतर गई जो मौत के घाट आक्रोश इतना तब भी होता होती अगर धर्म की बात बात इतनी सी है कि इस आक्रोश से फर्क ना पड़ता है क्योकि सजा होने तक बस उसका ही परिवार लड़ता है।

डर से लड़

दिल का डर अब तोड़ दे वो सारी बंदिश छोड़ दे जो आंच आये तेरी अस्मत पर दुश्मन को मरोड़ दे याद रख तू दुर्गा हे तू काली हे तू लक्ष्मीबाई जैसी हिम्मतवाली हे तेरा मान जो काटे उन पर वार कर अब ना सहेगी इतना तू विश्वास कर और अपना दिल फौलाद क र

भारत की दुर्दशा

एक रीत जो अंग्रेजो ने चलाई, अंग्रेज चले गए पर रीत ना गयी, भारत के लोगो तुम कुछ तो शर्म करो, समझो तो यह रीत की "फुट डालो शासन करो", देश की हालत क्यों अब तक ना सुधर पाई, क्यों हमारे देश की एकता अब तक ना जुड़ पाई, कभी राजनितिक लड़ाई, कभी सामाजिक लड़ाई, कभी धार्मिक लड़ाई, तो कभी बेमतलब की लड़ाई, थक गया है मन देख देखकर कभी इसकी बुराई तो कभी उसकी बुराई, जाने कब इस देश की हालत बदलेगी सुधरेगी, अरसे बीते भारत माँ को जाने कब खुश होगी।

रंग पंचमी

🎊🎊 *होली है* 🎊🎊 *रंगों के ढेर में खुशियाँ सजेंगी आज* *पिचकारी भर भर के मस्ती उड़ेंगी आज* *रंगों के त्यौहार सा रंगीन आपका सारा जीवन हो* *मन- मुटाव को भूल भुलाकर जीवन को खुशहाल करो*😊 *आप सभी को रंग पंचमी की रंग भरी शुभकामनाएँ।*

खुश जीवन

लपट सी धुप में भी खुशियो को पकते देखा है, आज मैने एक गाँव में खुश जीवन को देखा है । कुछ देर पहले जो गुमसुम था एक शहर में, अलग अलग सा रहता था शहरों की लहर में, पर अचानक उछल पड़ा वो जैसे गाँव आया, लगा जैसे जीवन को उसका जीवन मिल गया , पहली बार जीवन को इतना हंसते देखा है, आज मैने एक गाँव में खुश जीवन को देखा है । जब मौसम बारिश का आया वो भी तो मजेदार बना, खूब भीगा जीवन जब बना टपरों का झरना, बच्चों संग वो मस्ती करता शरारते भी करता है, धूल हो या मिट्टी हो उसको फर्क ना पड़ता है, शहरों की बारिश तो उसको याद ही ना आती है, पर शहर में जब भी होता गाँव की याद सताती है, शहरों में लोगो की भीड़ बारिश से चिढ जाती है, गाँव में बरखा आये तो कली कली खिल जाती है बारिश में खूब धूम मचाते हँसते गाते देखा है, आज मैने एक गाँव में खुश जीवन को देखा है हर मौसम में खुशियाँ ढूंढे गाँव का यही तरीका है, शहरों में तो हर मौसम फीका फीका लगता है, शहरों में तो स्टैण्डर्ड के बोझ में दबते देखा है, गाँव में तो बिन चिंता के धूम मचाते देखा है, आज मैने एक गाँव में खुश जीवन को देखा है आज मैने एक गाँव में खुश जीवन