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क्या सही? क्या गलत?

कुछ बाते जो अनुभव की वह आपको भी बताती हूँ, लोगो की मानसिकता को अपनी कविता से दर्शाती हूँ। ना जाने लोग तर्को को किस तराजू में तोलते है, ऊपर तापर देखकर ही सही को गलत और गलत को सही बोलते है। *प्रश्न है कि बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा?* *गहराई में यदि सोचोगे तो देखना* *आपको भी नही जमेगा* बच्चों को सिखलाने का इनका अंदाज़ तो देखो, जो मन में आये वही करो जो मन ना करे वो फेंको। बच्चों को भजन सिखलाना उनके बचपने पर बोझ जबकि भक्ति से मिलता है सुकून, और फ़िल्मी, अश्लील, इश्क के गीत सिखाने से तो उत्तम बनती ना सोच जबकि ऐसे गीत है बचपने का खून। *वाह रे वाह क्या बात है......* बच्चों को धार्मिक पुस्तके पढ़ाना उनके बचपने पर बोझ जबकि सिद्ध है कि यह ज्ञान है सटीक, पर बच्चों को फिल्मे दिखाकर फ़िल्मी ज्ञान देने से तो जीवन सुधरता ना रोज जबकि अनावश्यक है यह सीख। *वाह रे वाह क्या बात है......* बच्चों को सभ्य कपड़े पहनाना उनके बचपने पर बोझ जबकि सभ्यता ही है श्रेष्ठ संस्कृति, पर बच्चों को अंग प्रदर्शन सिखाने से तो बढ़ता ना उनका ओज जबकि अश्लीलता है मानसिक विकृति। *वाह रे वाह क्या बात ह

मिसाइल मेन

काश अगर ऐसा होता ये धरती प्रेम में बह जाती, ना होती जरूरत बम की ना मिसाइल बनाई जाती, ना इस तरह धरती माँ के परखच्चे यु उड़ाए जाते, हम बच्चे है धरती माँ के माँ का प्रेम समझ पाते, लेकिन काश तो काश ही होता सच भला कब होता है, अधर्म का मिटना भी जरूरी साधन बढ़ता जाता है, भारत भूमि की आन के खातिर रक्षा और स्वाभिमान के खातिर मिसाइल का किया निर्माण, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, श्रेष्ठ वैज्ञानिक, मिसाइल मेन एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी जयंती पर हृदय से सलाम। *नूतन पू.त्रि.*

जब से देखा है.......

*जब से देखा है.....* जब से देखा है ईर्ष्यालु लोगो को हमने ईर्ष्या करना छोड़ दिया है, क्योकि ये ना खुद खुश रह पाते है और ना किसी को रख पाते है। जब से देखा है घमंडी लोगो को हमने घमंड करना छोड़ दिया है, क्योकि इनके पास इनके खुद के सिवा और कोई नही होता है। जब से देखा है लालची लोगो को हमने लालच करना छोड़ दिया है, क्योकि ये चंद खुशियाँ खरीदते है लाखो की खुशियाँ दाव लगाकर। जब से देखा है इश्कबाज़ों को हमने इश्क करना छोड़ दिया है क्योकि अक्सर इश्कबाज इश्कबाज़ी करते वक्त अपनों और सपनों को भूल जाया करते है। जब से देखा है नास्तिक लोगो को हमने खुद को ईश्वर से और जोड़ लिया है, क्योकि ये जीवन को सुलझा ही नही पाते है। जब से देखा है स्वार्थी लोगो को हमने स्वार्थी बनना छोड़ दिया है, क्योकि ये खुद को ही खुश रखने के चक्कर में अक्सर खुद ही दुःखी रह जाते है। हमे तो जीना है सुकून का जीवन इसीलिए अच्छी अच्छी बातें अपनाते जा रहे है, सभी के जीवन से आएदिन कुछ न कुछ सीखते जा रहे है। *नूतन पू.त्रि.*

व्हाट्सअप ज्ञान, अफवाह का मैदान

*व्हाट्सअप ज्ञान, अफवाह का मैदान* *यदि आप भी व्हाट्सअप पर आये msg को तुरंत फॉरवर्ड करते है तो एक बार यह msg जरूर पढ़ें* मित्रो, अभी कई दिनों से देख रही हूँ की कुछ लोग रावण भक्त बन रहे है और उनकी भक्ति में उनकी तारीफों के पुल व्हाट्सअप पर बांधे जा रहे है और कितने ही लोग उस पर आँख बन्दकर चले जा रहे है। कोई रावण को महान बता रहा है, कोई सभ्य की उन्होंने सीता माता को छुआ तक नही, कोई श्रेष्ठ भाई की अपनी बहन के सम्मान के लिए युद्ध किया, कोई सबसे बड़ा शिव भक्त तो कुछ msg तो ऐसे बना दिए की जिसमे बेटी कहती है मुझे रावण जैसा भाई या पति चाहिए। *हद है मतलब कुछ भी* आप सभी ने msg पढ़े और उसकी खूब तारीफ की और आगे भेज दिया एक बार सोचा तक नही की यदि रावण अच्छा होता तो क्या विष्णु भगवान को राम अवतार लेना पड़ता? यदि रावण अच्छा था तो क्यों राम राज्य का आना उसके अंत पर निर्भर था? क्यों उसे समाप्त करने के लिए सरस्वती माता ने मंथरा की बुद्धि फेरी और रामजी को १४ वर्ष का वनवास दिलवाया? यदि रावण महान था और अच्छा राजा था तो उनके राज्य में जो राक्षस ऋषि, मुनियों को खा जाते थे उनके यज्ञ भंग कर देते थे उसमे मांस ड

बच्चों को बच्चा रहने दो

विनती करे जमाने से अब रहा ना जाये कहने दो, छल, कपट से परे है जो बच्चों को बच्चा रहने दो। मत सिखलाओ उनको तुम झगड़े को बदलना नफरत में, पल में कट्टी, पल में बट्टी यही तो उनकी फितरत है, जीवन भर कुड़ना ही है फिर अभी सुकून से जीने दो, छल, कपट से परे है जो बच्चों को बच्चा रहने दो। तुम्हारी रंजिश तुम ही जानो बच्चों का इसमें दोष है क्या? तुम पर करे भरोसा यही उनका कोई दोष है क्या? तुम जो कहते मान वो जाते मासूमियत में बहने दो, छल, कपट से परे है जो बच्चों को बच्चा रहने दो। गलत, सही में फर्क बताओ, अश्लीलता से उन्हें बचाओ, उम्र से बड़ी वो बाते करते ऐसा ज्ञान ना उन्हें सिखाओ, मोबाइल उनकी नही जरूरत फिर देते जाने क्यों भला? मोबाइल बचपन का है दुश्मन माता-पिता ने जानकर छला, बचपन उनसे छीनो ना उन्हें शरारत करने दो छल, कपट से परे है जो बच्चों को बच्चा रहने दो। दुनिया की बुराई से अवगत उन्हें कराओ, लेकिन इस कोशिश में बुराई उन्हें ना सिखलाओ, याद रखो जो अभी सीखेंगे वैसा जीवन बनाएंगे, अच्छा ज्ञान ना दोगे तो जीवन समझ ना पाएंगे, मासूम उनके दिल और दिमाग पर बुराई को ना छलने दो,