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सीख- एक बच्चे की जुबानी

एक बार की बात है, अंधेरी वो रात है, घूमने चले है माँ पापा मैं और छोटी बहन भी साथ है, अरे डरो ना डरो नही यहां डरने की कोई बात नही, रास्ते मे मिला हमे एक बच्चा उसमे कुछ तो बात थी, बहन और मै खा रहे थे बड़े चाव से आइस क्रीम, वह बच्चा जो दूर खड़ा है  खानी उसे भी आइस क्रीम, मेरे पापा बोले लो बेटा तुम भी खा लो एक, लेकिन बच्चे की माँ ने दिए संस्कार उसको नेक, ना कहकर वो चला गया  क्योकि थे पैसे पास नही, माँ जितना भी खिलाती है उससे बढ़कर तो 56 भोग नही, तब पापा ने समझाया और हमने भी जानी यह बात, माता-पिता की कद्र करो नही करो किसी से तुलना आप, माता-पिता जितना भी देंगे हैसियत से ज्यादा ही होगा, पुजा करो उनके प्रेम की खुदा कभी नाराज ना होगा......।

शिक्षा आरम्भ?

समझ नहीं आता आज का समय है कैसा?  शिक्षा में प्रपंच होता शकुनि के जैसा,  कहने को तो शिक्षा आरंभ होती कच्ची उम्र में, घड़े को पकाने की कोशिश, ना चीज को बनाते चीज, यह सब होता है लेकिन समय के थोड़े सब्र में, लेकिन यह सब नहीं जानते, कच्चे घड़े से ही काम मांगते, घड़े में भरेंगे बहुत कुछ ऐसा, जिसका शिक्षा से कोई होगा ना रिश्ता, शिक्षा भी होती है बच्चों की कहा, काम होगा बच्चों का करेंगे माता-पिता, शिक्षा से हटकर हर बात सिखाई जाएगी, अ, आ, इ, ई पूछते हमारी बारी कब आएगी, पैसों से भर दो तुम विद्यालयों की जेब, आपके बच्चे में प्रतिभा नहीं  कहेंगे इसका हमें है खेद, शिक्षा अब सिखाई नहीं जाएगी  बच्चों पर ढोई जाएगी, बच्चों को शिक्षित नहीं  शिक्षा धोने वाला गधा बनाएगी, इन्हीं प्रपंचों के बीच  बच्चों की प्रतिभा खोती है, कागज पर बच्चे बनते जाते शिक्षित  पर वास्तव में शिक्षा आरंभ ही नहीं होती है......।

मायका

बचपन, जवानी, बुढ़ापा,  तीनों समय के अलग है खेल, पर बचपन की बात निराली  नहीं किसी से मेल, पत्नी, मां फिर दादी, नानी  हर पद पर वो चढ़ती है, लेकिन वह घर जहां बचपन बीता  याद वो तब भी करती है, माँ के घर से मायका  जो पीहर भी कहलाए, हर रिश्ते की अलग कहानी  बचपन याद दिलाएं, चाहे जितना भी बीते समय पर  मायका शब्द सलोना, जुबां पर आए जब कभी भी लगे पुकारता वहां का हर एक कोना......।

दीपावली 2022

दीपो की झगमग खुशियों की बहार है, लक्ष्मी पूजन का यह पावन त्योहार है, रौशन होगा हर गली और मोहल्ला, बच्चों की धूम का हर घर मे हल्ला, घर भी जगमगाएंगे हम भी जगमगाएंगे, खुशियों से सजी धजी दीवाली मनाएंगे.....।

दशहरा 2022

रावण का प्रतिरूप जलाने, बनाये प्रतिरूप राम। रावण के अवगुण मिले कही भी, ना मिलते श्रीराम।। श्रीराम सा आचरण अपनाना, माना है आसान नही। पर रावण के अवगुण से तो बचो, वरना जलोगे ऐसे ही।। असत्य पर सत्य की विजय के इस महापर्व दशहरे की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

मूर्ति विसर्जन- अनंत चतुर्दशी 2022

बप्पा विसर्जन मूर्ति का है आप तो घर मे ही रहना, मूर्ति के संग घर के सारे विघ्नों को भेज देना, आपका आशीर्वाद तो हमे पल पल पर चाहिए ही, भूल हुई तो क्षमा कर विनती स्वीकार कर लेना...। अनंत चतुर्दशी की आपके लिए  शुभ हो।

शिक्षक दिवस

आज शिक्षक दिवस है आज के दिन प्रत्यक्ष रूप से जो शिक्षक है उनका सम्मान किया जाता है और यह संदेश दिया जाता है कि जिनसे आपको शिक्षा प्राप्त होती है उनका सदैव सम्मान किया जाना चाहिए और यह संदेश हमे नम्र बनाता है। मैं कहना चाहूंगी इस दिवस से सीख लेकर हमे उन सभी शिक्षको का सम्मान करना चाहिए जो अप्रत्यक्ष रूप से भी हमे शिक्षा देते है अर्थात हमे प्राणी मात्र का सम्मान करना चाहिए। यहाँ उपस्थित प्रत्येक विद्यार्थी किसी के लिए शिक्षक है तो प्रत्येक शिक्षक एक विद्यार्थी भी है। हम उम्र के किसी भी पड़ाव पर पहुँच जाए पर यदि हम विद्यार्थी बने रहे तो ही हम किसी के लिए शिक्षक बन पाएंगे। 

हर घर तिरंगा

आज जब निकले घर से बाहर गली गली में तिरंगा था, हर एक घर हर कोना भैया तीन रंगों से रंगा था, शान तिरंगे की जब भी देखु गर्व से मन फूल जाता है, लगा था बन गए देशभक्त सब मन में विश्वास न आता है, कुछ देर ये भ्रम रहा फिर पल में चकनाचूर हुआ, सेल्फी हुई अपलोड और  ध्यान तिरंगे से दूर हुआ, कही हवा में लहराता पर कही कही तो झुक रहा, कही है उलझा तारो में तो कही उल्टा लटक रहा, अभियान का मकसद क्या इसका मुझको भान नही, हर घर मे हो तिरंगा पर इस तरह अपमान नही, जनता में देशप्रेम जगाना इतना भी आसान नही, भीड़ में चलने वालों के मन मे तिरंगे का सम्मान नही, जो आधे दिन के बाद ही तिरंगे को भूल जाये, राष्ट्रीय त्यौहारों के बाद जब तिरंगा सड़को पर पाए, साल में दो दिन प्रेम दिखाए बाकी दिन देश को खाते है, देश को धोखा देकर क्यो??? तिरंगे को लहराते है, अभियान का विरोध करना यह मेरा मकसद नही, कहने का अर्थ बस इतना है तिरंगे की गरिमा पर हो चोट नही....।

दादीजी की डिब्बी- संस्मरण

दादी, नानी की कहानियाँ तो हर किसी के जीवन मे होती है। वैसे ही एक छोटा सा हिस्सा मेरे जीवन का भी है जो अचानक याद आ गया तो सोचा आप सभी से साझा करूँ।                 बात कुछ ऐसी है की घर के जो बुजुर्ग होते है उनके आगे घर का हर सदस्य बच्चा ही होता है। फिर वह कितना ही बड़ा क्यो न हो।         हमारे घर मे भी 10 से 11 लोग है जिनमे बच्चे भी है उनके माता-पिता भी है और हम सबसे ऊपर दादीजी है। हमारे दादीजी, घर के मुख्य कमरे में रहते है। उनके पलंग पर पूरे घर का स्वास्थ्य संसार बसा होता है। हर दर्द की दवा होती है उनके पास और हर समस्या का समाधान भी।     पलंग पर वही कोने में हमारी दिनचर्या का सबसे बड़ा खजाना रखा होता है जिसमे घर के हर सदस्य का हाथ जाता है लेकिन हाँ पूछकर......। वैसे तो अब तक दादीजी ने हमारी हर बड़ी जरूरतों को भी पूरा किया है पर छोटी-छोटी जरूरते जिनसे छोटी-छोटी खुशी मिलती है उसका निदान है दादीजी की डिब्बी...।     अब बताऊँ उस डिब्बी में होता क्या है? उसमें होते है बहुत सारे सिक्के 1 के, 2 के, 5 के, 10 के। हम सभी को जब भी कुछ खाना हो या और भी कोई काम हो तो सबसे पहले नजर में आती है वो और हाथ

राखी

भाई बहन का त्यौहार, जिनमे छिपा होता प्यार, इनका प्यार कभी सामने नही आता, लड़ाई झगड़ो के पीछे छिपकर मंद-मंद मुस्कुराता, यह जोड़ी सभी रिश्तों में अनमोल है, इसीलिए तो रक्षाबंधन के त्यौहार का बिना झगमग के भी मोल है। रक्षाबंधन की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ

दोस्ती

दोस्ती का रिश्ता बहुत खास होता है, इसका हर रिश्ते में एहसास होता है, रिश्ता खून का हो, प्रेम का हो या भावुकता का हो, दोस्ती के बिना हर रिश्ता उदास होता है।      दोस्त इतना हँसाते है, की खून बढ़ा देते है।                       मित्रता दिवस की खून बढ़ाकर बधाई।

ओए तू कब फोन करेगी?? - संस्मरण

दोस्ती क्या होती है, यह हम सभी महसूस करते है। दोस्तो के साथ बिताए पलो में कुछ पल ऐसे भी होते है जो हम कभी भूलते नही और जब भी याद करते है दिल मे खुशी और चेहरे पर हँसी पाते है। ऐसा ही एक वाकया है मेरी जिंदगी का जो मुझे हमैशा याद रहेगा।      सुबह हो चुकी है, जैसे हर दिन शुरू होता है आज भी शुरू हुआ। मुझे सुबह जल्दी उठकर खुली हवा में जाना बहुत सुकून देता है तो उस सुकून के साथ मे थोड़ी सेहत भी अवेर लेती हूं और थोड़ा योग कर लेती हूं।                                  बस आज भी मेरा यही नियम रहा और मैं योग करने छत पर गयी। योग करने बैठी ही थी कि मेरी सहेली का फोन आया- कितनी देर से राह देख रही हूँ तेरे फोन का कब करेगी? तुझे याद भी है या भूल गयी? मैं ही हर बार फोन करके याद दिलाऊँ की आज मेरा जन्मदिन है। वो एक ही सांस में सब ऐसे बोल दी इतनी सांस तो में अनुलोम विलोम में भी नही खिंचती। मैंने कहा- अरे हाँ मैं फोन करने ही वाली थी और तेरा फोन आ गया तुझे भी शांति नही है है ना। वो बोली- कैसे शांति रखु सबके मेसेज फोन आ रहे एक तेरा ही नही आता। अब तो हर बार जब भी उसका जन्मदिन आता है मैं इसी दिन को याद करके फटाफट

वीर रस की कवि हूँ मैं

*वीर रस की कवि हूँ मैं* लड़की हूँ यह देखकर समझते है सब श्रृंगार रस की कवि हूँ मैं, पतली सी आवाज है मेरी  नाजुकता की छवि हूँ मैं, पर हर नारी कोमल है यह बात सुनो सब झूठ है, नाजुक, कोमल के साथ शक्ति भी वीरांगनायें सबूत है, श्रृंगार रस में रचना लिखना मुझे तो कहा आता है, वीर रस में लिखना, सुनना आनन्द मुझे दिलाता है, तपन से अपनी रोशन करे चमचमाता रवि हूँ मैं, कोमल, नाजुक नारी हूँ बेशक पर वीर रस की कवि हूँ मैं....। *पूजा ओझा (नूतन पू.त्रि.)*

प्रकृति

प्रकृति जब अपनी खूबसूरती दिखाती है,  जमाने की सारी चकाचोंध फिंकी पड़ जाती है...।

स्टेटस डालने की जल्दी- संस्मरण

मेरी शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे।  काम से निपट कर मैं बेठी। मैंने मोबाइल हाथ में लिया और व्हाट्सएप पर स्टेटस देखने लगी। तभी मेरी एक सहेली के स्टेटस पर मैंने देखा उसकी खुद की फोटो डाली है और नीचे लिखा है ॐ शांति.....। मैं चौक गई ! मैंने सोचा, अरे ! ऐसा कैसे यह कैसे हुआ? मेरे कुछ समझ नहीं आया। इतनी देर में मेरी दूसरी सहेलियों के फोन आने लगे यह क्या हुआ?  मैंने उनके नंबर पर फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। मैंने बार-बार फोन किया पर कोई जवाब नहीं आया।  अचानक से किसी सहेली के स्टेटस पर उसके मरने की खबर आ जाए तो इंसान की क्या हालत होगी???? जबकि कुछ ही दिन पहले आपकी उससे बात हुई है। अचानक ऐसा क्या हुआ? मुझे समझ नहीं आया मैं क्या करूं? फिर मुझे ध्यान आया की उनके गांव में उनके घर के पास मेरे साथ पढ़ाने वाली एक मैडम का घर भी है।  मैंने उनको फोन किया उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ??   फिर दोबारा मैंने उनको फिर फोन किया उन्होंने फोन उठाया तो पीछे से ढोल की आवाज आ रही थी मैं फिर घबरा गयी यह ढोल किस बात पर बज रहा है?  फिर मैंने उनसे अपनी सहेली का

कौन अनोखा

ना किस्से ना कहानी में, ना बचपन ना जवानी में, बुढापा भी गुजर जाएगा इन कुछ मनमानी में, जरा इस बार अपने आप से पूछो तो बस इक बार, किया है क्या अनोखा तुमने अपनी जिंदगानी में, 2 अगर जवाब में मिले ना तुमको इक अनोखी बात, घमंड ये छोड़ देना हो बड़े जग की कहानी में....।

फुर्सत के पल

*फुर्सत के पल* आज फुर्सत में बैठी थी, तो सोचा प्रकृति से कुछ बाते करू, कुछ उससे पुछु, जानू  तो कुछ अपनी भी बात कहूं, मेरी तरफ से शब्द है  और उसकी तरफ से इशारा, समझने के लिए आंख मूंद कर  लेती मन का सहारा, पुछु कुछ जो मन को भाए  तो ठंडी हवा प्यार से आए, बात कहूं कुछ गुदगुदी सी  पत्तों में वह शर्मा जाए, कह दूँ कुछ जो अनचाहा सा बिजली कडके बादल गरजे, बीच-बीच में बोले प्रकृति  करती रहा करो बातें  लगाया करो ना अरसे,  कुछ ही देर में हम दोनों का  तालमेल कुछ यू बैठा,  वह भी मुझसे जुड़ गई  और मेरा मन भी प्रसन्नता से भर बैठा,  फिर बातों में बातें कुछ निकली  प्रकृति का मन भर आया,  हल्की बारिक बूंदों से  उसने अपना दुःख छलकाया,  बारिश हुई तो भीग जाऊंगी  मैंने कहा चलो मैं चलूं,  तुझको तो पसंद था भीगना  बड़ी हो गई मैं क्यो सहूँ?  दोस्ती में हर भाव है होते  उसने नाराजगी दिखलाई,  अचानक हुई तेज बारिश  और मेरी रचना बह गई,  पर खुशी हुई मुझे इस बात की  ताजा हुई वो यादें  और मै प्रकृति के साथ मस्ती करने  कुछ देर और रह गई.....। *पूजा ओझा (नूतन पू.त्रि.)*

इश्क

सोचा न था कभी हम भी बदलेंगे, किसी के प्यार में कभी हम भी निखरेंगे, पर जब से हुई है आपसे मुलाकात, जुड़ा है आपसे जीवन भर का साथ, हमारा दिल भी खोने लगा है, हमे भी इश्क पर विश्वास होने लगा है......।

बड़ो के बिना परिवार

बड़ो के बिना परिवार,  जैसे छत के बिना घर, बारिश, धूप, धूल सबकुछ घर के अंदर, तालाब जैसी समस्याएं भी बन जाती है समंदर......।

बड़ा भाई

बड़े भाई का सर पर हाथ, लगे जैसे माता-पिता हो साथ, जिसमे भी भाई हो ऐसा की क्या तारीफ करू जिसकी, ईश्वर से यही है दुआ की दिनों दिन उम्र बढ़े उसकी......।

जय परशुराम

ब्राह्मण का एक रूप अनोखा सीधा नही पर सच्चा जान, ब्राह्मण का अस्तित्व बचाने रण में कूदे श्री परशुराम, बुराई के विरुद्ध छेड़ दी जंग सब करने लगे हाहाकार, ब्राह्मण ने उठाया शस्त्र जब बढ़ने लगा अत्याचार, हमे भी चलना नक्शे कदम पर शस्त्र के साथ हो शास्त्र का ज्ञान, शास्त्र ज्ञान जब हो जाये  तभी उठाना शस्त्र और कहना जय परशुराम......। श्री परशुराम जयंती की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं
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दोस्ती

पल दो पल का समय रिश्तों को बनाये रखता है, हम साथ थे कभी वो पल यादों में सजाए रखता है, एक msg ही काफी है वो खुशी देने के लिए, जो दोस्ती के एहसास को बचाये रखता है.......। 😊😊😊😊😊

माँ

उम्र बढ़ी पर मोह ना टूटा,  कभी भी माँ का पल्लू ना छूटा,  घूमना फिरना सब बेकार था,  मुझको बस माँ के पल्लू से प्यार था,  पहले हाथ छूटा और उभरी नही थी  साथ छोड़ गई माँ, यादे छोड़कर कह गयी  अब जियो मेरे बिना,  पर बहुत मुश्किल है माँ.....

लिखती हूँ खुद पर

लिखती हूँ कभी यहाँ से तो कभी वहाँ से, कभी इस पर तो कभी उस पर, फिर कई बार चिढ़ जाती हूँ खुद से भी, तब सुनाने को खुद को लिखती हूँ खुद पर...। 😁😁😀😀

smart बनिये फुद्दू नही

*Smartness का जमाना है तो smart बनिये फुद्दू नही* 8 घण्टे की ऊर्जा में 10 घण्टे काम करो जिससे वह काम 12 घण्टे में होता है इसके बजाय 12 घण्टे की ऊर्जा बनाओ जिससे 10 घण्टे का काम 8 घण्टे में हो। 6 घण्टे मेहनत करके दिमाग थक जाता है फिर उस थके हुए दिमाग को घिसो इसके बजाय दिमाग को स्वस्थ बनाओ और सारा दिन दिमाग चलाकर भी दिमाग को स्वस्थ रखो। 24 घण्टे में से स्वास्थ्य बस आधे से एक घण्टा मांगता है तो आलस या काम का नाम लेकर वो समय खाकर *फुद्दू* मत बनिये बल्कि आधे से एक घण्टा invest करके सारा दिन ऊर्जावान रहकर *smart* बनिये। योग करो भाई योग करो, योग करो बेन योग करो, योग से होगी सेहत स्वस्थ, मौज करो फिर मौज करो। योग करो योग का गणित

माँ

जिन कदमो को छूकर हमने जीवन बिताया,  आपके आशीर्वाद से हमने सारा सुख पाया,  आपका साथ और सिर पर आपका हाथ  हमे सुकून देता था,  आपका आशीर्वाद तो जानते है  हमेशा हमारे साथ है,  पर जिन कदमो में हमे स्वर्ग का एहसास होता था  वो कदम कहाँ से लाये माँ........😔😔

बेनाम शान

अपनी राह बनाने का स्वाभिमान बचा ही कहा है अब जनाब,  हमने तो अनजानी राहो पर भी लोगो को शान दिखाते देखा है।

अंधेरी रात

अंधेरी है रात माहौल है शांत सन्नाटा चारो और छाया है, कुत्ते के रोने की आवाज से मन बड़ा घबराया है, बत्ती है गुल चल रही है हवा तेज उड़ रही है धूल, शांति है या सन्नाटा जो भी हो लगता है मौसम बड़ा डरावना, ऐसे में घर के बाहर खड़ी हूँ मैं अकेली, डरने की बात क्या? साथ है साथ देने को मेरी कलम मेरी सहेली...।

ये कैसी बीमारी है? - संस्मरण

आजकल अजीब तरह की बीमारियां होती है, जिससे हमारे शरीर मे होने वाले छोटे से बदलाव से भी हम घबरा जाते है। ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ...... एक दिन ऐसे ही मैं बैठी थी। तभी अचानक मेरी नजर मेरे नाखूनों पर गयी। मैंने देखा वो थोड़े मैले से हो रहे है। मैं घबरा गई मैंने सोचा अरे ! ये क्या? ये मेरे नाखूनों को क्या हो गया है? मुझे इतना तो पता था कि नाखून का मैला होना किसी बीमारी का संकेत है। लेकिन कौन सी?  बस फिर क्या था काम से फुर्सत मिलते ही मैंने गूगल पर खोजना शुरू कर दिया......। हे भगवान! ये क्या ???? अरे! ये मुझे क्या हो गया????? इतनी सारी बीमारी; लेकिन मुझे इनमें से कौन सी हुई है?? इन बीमारियों के लक्षण; ये, हाँ ये तो मुझे हो रहा है, हाँ ये भी तो हो रहा है, अरे! ये भी तो हो रहा है। हे भगवान! क्या करूँ? किसी को बताऊँ या नही ?? ओह्ह ! कुछ समझ नही आ रहा क्या करूँ?? ऐसा करती हूँ अभी शुरुआत है तो पहले घरेलू उपाय करके देखती हूँ शायद इससे ठीक हो जाये और किसी को बताना भी ना पड़े। फिर 2 दिन घरेलू उपाय कर मैंने फिर नाखून देखे। अरे! ये तो अब भी वैसे ही है। हे भगवान! क्या करूँ? सबको बता दूँ और डॉ को दिखा दूँ।

डर

डर,  जैसे निभानी कोई रीत है, डर, जिससे हो जाती प्रीत है, डर, जिसके साये से भी डर लगता है, तभी तो वो हर कदम पर साथ चलता है, डर, जिससे रिश्ता ना कोई गहरा है, डर, जिसका फिर भी हम पर पहरा है, डर, ना चाहो तब भी आता है, डर, क्यो अपनापन निभाता है? डर, हर मजबूती खाता है, डर, जो भुक्कड़ कहलाता है, डर, ना हो तो सुकून है, लेकिन डर, खिंच लेता जहन्नुम में...।

पापा की परी

पिता का साथ हर  चिंता का समाधान है,  मन मे ना कोई डर  लगे कदमो में जहान है,  हर समस्या  पिता को कहते ही सुलझती है,  बेटियां तभी सुंदर लगती है जब  पापा की परी के नाम से सजती है.....।

नेताजी - सुभाष चंद्र बोस

आजादी को हम हर पल हर सांस में जिये जाते है, आजादी के दिन को हम अवकाश की तरह बिताते है, नही जानते कितनी कुर्बानी पर मिली ये आजादी, पढ़कर जोश भरा पल भर का की कैसे लड़े थे नेताजी, आजादी के लिए उन्होंने खून की कीमत मांगी थी, जय हिंद से भरा जोश लाखो ने जान लगा दी थी, शहीदों के देह पर खड़ी  इस आजादी को यू बर्बाद ना कीजिये, नेताजी की याद को रात गयी बात गयी कि तरह यू भुला ना दीजिए, आजादी का महत्व समझकर उनके संकल्प को देना है मान, उनकी मृत्यु एक रहस्य है अब तक शायद आजादी का बाकी है काम....।

बच्चों का विज्ञान- संस्मरण

हमने विज्ञान की मोटी मोटी किताबे पढ़ी होंगी.....लेकिन बच्चों का जो विज्ञान होता है वो अलग ही दिशा में चलता है जिसका ना अर्थ होता है और ना तर्क, लेकिन हां उसे व्यर्थ नही कह सकते.....। एक बार की बात है मैं मेरी भतीजी चकोर से जो कि 5 साल की है वीडियो कॉल पर बात कर रही थी। वही पास उसकी एक सहेली भी बैठी थी वो दोनो गेंद से खेल रहे थे। हम बात कर रहे थे की खेलते-खेलते चकोर की सहेली बोली, यार चकोर मैं गेंद को ऊपर उछालती हूँ ये वहाँ रूक क्यो नही जाती वापस नीचे कैसे आ जाती है?? उसकी बात सुनकर मैं विचार कर ही रही थी कि इतने छोटे बच्चों को गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार समझाया जाए???? तभी चकोर बोली अरे पागल ऊपर कोई पकड़ने वाला नही होता ना इसीलिए गेंद वापस नीचे आ जाती है......। मैने कहा वाह!! मतलब बच्चों को अपने सवालों के जवाब आप ही ढूंढना आता है। मैने समझा बच्चों के दिमाग को जब तक बचपना है तब तक तो किसी विज्ञान की जरूरत नही है क्योंकि वो किसी का विज्ञान समझ नही सकते और ना कोई बच्चों का विज्ञान समझ सकता है।

वाह क्या मौसम है

वाह क्या मौसम है, बारिश के बाद हवाओ की जो सनसन है, कोहरा दिखता घना घना, जिसके बीच से हल्का सा उजाला छना, मन करता है इस नजारे को रोक लूँ, बेमौसम का मौसम है बीमार करेगा कहते है सब, पर मन को मोहने वाले  इस मौसम के बारे में ऐसा कैसे सोच लूँ? इस मौसम का आनंद लेने को छत पर जाने से खुद को कैसे रोक लूँ???? कैसे कैद करू इस मौसम की याद सोच रही थी? तभी ख्याल आया क्यो ना कुछ लिख लूँ....।