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त्रिवेदी परिवार की कहानी

लगता है एैसे जैसे रहते सारे यार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार गर्मी की छुट्टियो मे घर पूरा भरा होता क्योकि सबका main अड्डा यही होता भाई बहन जब सारे मिलते मचती थी तब धूम Adjust होकर भर जाता था दादीजी का room ठहाको की जब रोजाना लगती थी फुहार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार सभी बुआए कुक्षी मे साथ मे तब आती थी कोई अगर ना आए तो जबरदस्ती बुलाती थी नए कपडे पहनकर तब गायत्री मंदिर जाते थे कभी रास्ते मे आइसक्रीम तो कभी घर मंगवाते थे उस समय लगता था जैसे समा गया संसार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार छत पर पानी छिटते छिटते गंगा माता खेलते थे हॉल मे रस्सी का झूला बांधकर सब झूलते थे वट सावित्री के दिन घर पर आम की दुकान लगना तब कुलर तो था नही तो रोज रात छत पर सोना उन छुट्टियो मे दम था लगती थी मजेदार बस कुछ एैसा ही है हमारा त्रिवेदी परिवार वो छुट्टिया अब कुक्षी मे वापस से ना आती है पत्तो की बाजी भी अब कभी कभी बिछ पाती है वो दिन ना कोई भुला है ना कोई भुल पाएंगे जब भी सारे साथ मे होंगे वो दिन तो याद आएंगे आज भी सब साथ मिले तो मस्ती होती बेशुमार बस कुछ एै

गीता सार - अष्टम अध्याय

आँठवे अध्याय मे अर्जुन बोले ब्रम्ह, अध्यात्म, कर्म ये क्या है अधिदैव, अधियज्ञ कौन है इस शरीर मे यह कैसे है परम अक्षर, ब्रम्ह, अध्यात्म, जीवात्मा भूतो के भाव को कर्म है कहाँ बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 बोले भगवान दो मार्ग काल के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष है एक मे हो मृत्यु तो परमगति हो दूजे मे प्राप्त जन्म, मृत्यु को शुक्ल पक्ष मे ब्रम्ह को प्राप्त हो कृष्ण पक्ष मे पुनः जन्म हो मृत्यु के दो काल कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 हे अर्जुन तु सभी काल मे समबुध्दि रूप योगमुक्त हो मेरी प्राप्ति के लिए साधना निरन्तर करने वाला हो योगी रहस्यो का उल्लंघन कर सनातन परमपद को प्राप्त हो बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - सप्तम् अध्याय

साँतवे अध्याय मे भगवान बोले ज्ञान महत्वपूर्ण कहूँ मैं पृथ्वी, अग्नि, वायु, जल आकाश, बुध्दि, अहंकार, मन आठ प्रकार की प्रकृति मेरी मनुष्य द्वारा धारण जो की चेतन, प्रकृति जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 प्रकाश हूँ मैं चाँद, सूरज मे जल मे रस व शब्द आकाश मे अग्नि मे तेज, पवित्र पृथ्वी मे जीवन हूँ सम्पूर्ण भूतो मे मैं बलवानो की आसक्ति कामना से रहित बल हूँ मैं हर जगह मे मुझको मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 देवी - देवता कोई भी हो प्रेम से भक्ति करता है जो वही भक्त अति उत्तम है मुझे अत्यंत प्रिय है वह भक्त चाहे जैसे भी भजे अन्त मे प्राप्त मुझको ही हो प्रेम जरूरी है जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - षष्टम अध्याय

छठे अध्याय मे भगवान बोले मित्र, शत्रु स्वयं मानव है मन, इन्द्रियाँ व जीत ले शरीर वही स्वयं का मित्र सच्चा है जो न जीत पाया है स्वयं को शत्रु स्वयं का वो बन गया है किसी और का ना योगदान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 मिट्टी, पत्थर, स्वर्ण समान है वह योगी युक्त भगवत्प्रास है योगी न हरदम जागने वाला है न हरदम वो भूखा रहता है ना ही ज्यादा ना ही कम सही मात्रा मे निंद्रा और भोजन वही सच्चा योगी जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले मन बडा चंचल वश मे करना अति है दुष्कर भगवान बोले माना मुश्किल है अभ्यास, वैराग्य से सफल होगा यह उसका प्राप्त होना है सहज प्रयत्नशील पुरूष द्वारा यह यह मेरा मत है मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले हे भगवन जिसका योग मे ना है मन उसका क्या होगा ये जहाँ मे किस गति को वह प्राप्त होता है भगवान बोले ना नर्क ना स्वर्ग उसका होता है मानव जन्म कर्म से जन्म हो जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार- पंचम अध्याय

पाँचवा अध्याय कह रहे अर्जुन उचित क्या है बताए ये भगवन कर्म सन्यास या कर्म योग हो मेरे लिए क्या श्रेष्ठ है ये कहो कहे भगवान ये दोनो है समान मुर्ख लोग इसे अलग रहे जान लिप्त कर्म न मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 स्वार्थ बिना जो कर्म करता है निःस्वार्थ मुझमे लिन रहता है जल से कमल मे पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नही होता है पाप, पुण्य हम ग्रहण ना करे परमेश्वर अर्जुन से कह रहे हर कर्म भुगतना ये जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 इन्द्रिया, मन और बुध्दि भी जीत लिया है जिसने वही ही इच्छा, भय और रहित क्रोध से वह तो सदा ही मुक्त हुआ है स्वार्थरहित , दयालु , प्रेमी शान्ति को प्राप्त हुआ वह ज्ञानी समाए ये मुझमे मान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार- चतुर्थ अध्याय

चौथे अध्याय मे भगवान बोले तुझे सुनाऊँ योग पुरातन रहस्य है ये उत्तम जान लुप्त हो चुका इसका ज्ञान प्रिय सखा तु भक्त मेरा इसलिए ये तुझसे कहा गुप्त रहे ये ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 मैने रहस्य ये सूर्य से कहा सूर्य ने अपने पुत्र से कहा इसी प्रकार बढता ये ज्ञान किन्तु अभी लुप्त ये मान आप अभी जन्मे सूर्य पुराने बात नही ये अर्जुन माने जवाब रहे है मांग कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 तेरे मेरे जन्म है कितने याद मगर ये तुझको नही है मैं अजन्मा हूँ ये तू मान सभी जन्मो का है मुझे ज्ञान पाप बढा है जब भी धरती पर मैने जन्म लिया है वही पर सब समाए मुझमे जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

पेड

पेड है हम पेड है हम दुःखी दुःखी से पेड है हम इंसानो के शौक के कारण दुःखी दुःखी से पेड है हम ईश्वर के बनाए स्वर्ग को नर्क बनाया इंसान ने जीवन जीने का सबको मिला हक हक छीना इंसान ने पाप लगेगा दोष लगेगा इंसानो को रोज लगेगा संख्या ये करते हमारी कम जीवन होगा इनका कम इंसानो के शौक के कारण दुःखी दुःखी से पेड है हम प्रकृति हमारी धरोहर है और इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

गीता सार - तृतीय अध्याय

तीसरे अध्याय मे अर्जुन बोले भ्रमित भगवन मुझे न किजीए कहे आप एक निश्चित बात जिससे मेरा होगा कल्याण कर्म से यदि श्रेष्ठ है ज्ञान क्यो मुझे रहे कर्म मे डाल बताए मुझे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान बोले हे निष्पाप लोक मे दो निष्ठा है प्राप्त सांख्ययोगियो की ज्ञान है निष्ठा और योगियो की कर्म है निष्ठा मनुष्य का कर्म करना है निश्चित जो न करे वो निर्वाह नही सिध्द कर्म जरूरी ये जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन बोले मानव जात क्यो कर रही है फिर यह पाप क्रोध से ज्ञान यह ढँका हुआ है जैसे आग मे धुँआ हुआ है इन्द्रिया वश मे इनके नही है बडा मनुष्य का घात यही है बता रहे भगवान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2

गीता सार - द्वितीय अध्याय

दूसरे अध्याय मे भगवान बोले मोह तुझे ये क्यो आ रहा है श्रेष्ठ पुरूष के गुण तो यह नही इससे न स्वर्ग मिलने वाला है अर्जुन कहे गुरू यह मेरे बाण चलाना इन पर सही है सलाह रहे है मांग कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 भगवान कहे सुन ले हे अर्जुन नष्ट होना हर जीव को एक दिन जीव मे श्रेष्ठ होती जीवात्मा जिसे नष्ट न कोई कर सकता एैसो के लिए शोक ये कैसा अधर्म जिनको प्यारा हमैशा दे रहे भगवन ज्ञान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2 अर्जुन कृष्ण से पूछ रहे है स्थिर बुध्दि का अर्थ बताइए कृष्ण बता रहे अर्थ है इसका इन्द्रियो को वश मे जिसने किया मोह नही जिसे इस दुनिया का सुख, दुःख का जिसे फर्क ना पडा वही बुध्दि है स्थिर जान कृष्ण वाणी का लो गीता ज्ञान सुन लो सारा जहान 2